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HINDI GRAMMAR

 

भाषा से आप क्या समझते है?

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य मन के भावों और विचारों को व्यक्त करता हैl और दूसरों के भावों और विचारों को जानता हैl
भाषा के रूप: भाषा के मुख्यतः दो रूप हैं:
1. मौखिक भाषा
2. लिखित भाषा

भाषा के प्रकार:

    1. मातृ भाषा
    2. राष्ट्रभाषा
    3. राजभाषा
    4. संपर्क भाषा
    5. मानक भाषा

      लिपि किसे कहते हैं?

      भाषा को लिखित रूप देने के लिए जिन चिहनो को निश्चित किया गया, उसे लिपि कहते हैंl

      व्याकरण से आप क्या समझते हैं?

      भाषा के शुद्ध रूप के नियम बताने वाला शास्त्र व्याकरण कहलाता है, व्याकरण के मुख्य भाग:

        • 1. वर्ण विचार
        • 2. शब्द विचार
        • 3. वाक्य विचार

      साहित्य क्या है?

      साहित्य समाज का दर्पण है। समय-समय पर हमारे कवियों एवं लेखको ने अपने विचारों को लेखनीबद किया और उन्हें लोगों से साझा किया। इसी संचित ज्ञान को साहित्य कहते हैं जो समय-समय पर लोगों का मार्गदर्शन करने के साथ हमारा मनोरंजन भी करते रहे हैं।
      साहित्य दो प्रकार का होता है:

        • 1. गद्य साहित्य
        • 2. पद्य साहित्य

      वर्ण किसे कहते हैं?

      वर्ण भाषा की लघुतम इकाई है, जिसे खण्डित नहीं किया जा सकता, वर्ण का दूसरा नाम अक्षर भी है। वर्ण दो प्रकार के होते हैं:

        1. स्वर
        2. व्यंजन

      स्वर

      जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है अर्थात इनके उच्चारण में अन्य ध्वनियो की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, वे स्वर कहलाते है।
      स्वर तीन प्रकार के होते हैं:

        • 1. ह्रस्व स्वर
        • 2. दीर्घ स्वर
        • 3. प्लुत स्वर

      व्यंजन

      जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है, वे कहलाते हैं; व्यंजन को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है:
      1. स्पर्श
      2. अन्तस्थ
      3. ऊष्म

      शब्द: भाषा का आधार शब्द है, शब्द वर्णों के मेल से बनता है।

      पद

      शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होते हैं, तब इन्हें “पद” कहते हैं। पद स्वतंत्र नहीं होता। यह व्याकरण के नियम से बंधा होता है।
      शब्दों का वर्गीकरण: शब्दों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया गया है
      :

        1. उत्पति के आधार पर
        2. रचना के आधार पर
        3. अर्थ के आधार पर
        4. प्रयोग के आधार पर
      उत्पति के आधार पर

      शब्द की उत्पति के आधार पर शब्दों के चार भेद होते हैं:
      1. तत्सम शब्द
      2. तद्भव शब्द
      3. देशज शब्द
      4. आगत शब्द

      तत्सम शब्दतद्भव शब्द
      क्षीरखीर
      मित्रमीत
      नृत्यनाच
      संध्यासाँझ
      कूपकुवां
      कृषककिसान
      देशजआगत
      लोटा, थैला, रोटी, जूता, चप्पल, चिड़ियाअफ़सोस, शोर, आमदनी, पजामा, दुकान, शिकायत

      नोट: आगत शब्दों में विभिन्न भाषाओं के विदेशी शब्द शामिल हैं। जैसे: फारसी, अंग्रेजी, तुर्की, चीनी, पुर्तगाली आदि।

      रचना के आधार पर:

      1. रूढ़ 2. यौगिक 3. योगारूढ़
      किताब विद्यालय लम्बोदर
      दीवार राष्ट्रपिता त्रिनेत्र
      लता घुड़सवार पीताम्बर
      कठिन रसोईघर दशानन

      प्रयोग के आधार पर:

      1. विकारी शब्द
      2. अविकारी शब्द

      अर्थ के आधार पर:

        1. विलोम शब्द
        2. एकार्थी शब्द
        3. पर्यायवाची शब्द
        4. अनेकार्थी शब्द
        5. भिन्नार्थक शब्द
        6. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

      संज्ञा: किसी प्राणी, स्थान, वास्तु, भाव या गुण के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के तीन भेद होते हैं:
      1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
      2. जातिवाचक संज्ञा
      3. भाववाचक संज्ञा
      नोट: भाव्व्चक संज्ञाओं को हम स्पर्श नहीं कर सकते हैं।

      जातिवाचकभाववाचक
      मित्रमित्रता
      बच्चाबचपन
      वीरवीरता
      व्यक्तिव्यक्तित्व
      राष्ट्रराष्ट्रीयता
      मजदूरमजदूरी

      लिंग: वे शब्द जिनसे किसी संज्ञा या सर्वनाम के पुरुष या स्त्री जाति का बोध होता है उसे लिंग कहते हैं। लिंग दो प्रकार के होते हैं:

      पुल्लिंगस्त्रीलिंग
      छात्रछात्रा
      लेखकलेखिका
      बालकबालिका
      गायकगायिका
      अध्यक्षअध्यक्षा
      महोदयमहोदया

      वचन: जिन शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम के एक या अनेक होने का बोध हों, उसे वचन कहते हैं। वचन दो प्रकार के होते हैं:

      एकवचनबहुवचन
      लड़कालड़के
      कमराकमरे
      जूताजूते
      दरवाजादरवाजे
      पंखापंखे
      बेटाबेटे
      कारक

      जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम का क्रिया तथा वाक्य के दूसरे शब्दों से सम्बन्ध के बारे में बताते हैं, उन्हें कारक कहते हैं।
      हिंदी में करक आठ प्रकार के होते हैं:

        • 1. कर्ता
        • 2. कर्म
        • 3. करण
        • 4. सम्प्रदान
        • 5. अपादान
        • 6. सम्बन्ध
        • 7. अधिकरण
        • 8. सम्बोधन

      विभक्ति: कारको को प्रकट करने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ जो चिह्न लगाये जाते हैं, उन्हें विभक्ति या परसर्ग कहते हैं।
      कारक के विभक्ति चिह्न या परसर्ग निम्नलिखित हैं:

      कारकविभक्ति चिह्न (परसर्ग)
      कर्ताने
      कर्मको
      करणसे, के द्वारा
      सम्प्रदानके लिए, को
      अपादानसे
      सम्बन्धका, के, की, रा, रे, नी
      अधिकरणमें, पर
      सम्बोधनहे!, अरे!
      सर्वनाम

      संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
      सर्वनाम के छः भेद होते हैं:

        • 1. पुरुषवाचक
        • 2. निश्चयवाचक
        • 3. अनिश्चयवाचक
        • 4. प्रश्नवाचक
        • 5. सम्बन्धवाचक
        • 6. निजवाचक
      विशेषण

      वे शब्द जो संज्ञा तथा सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, विशेषण कहलाते हैं।
      विशेषण चार प्रकार के होते हैं:

        1. गुणवाचक
        2. संख्यावाचक
        3. परिणामवाचक
        4. सार्वनामिक
      संज्ञाप्रत्ययविशेषण
      परिवारइकपारिवारिक
      नीतिइकनैतिक
      अधिकारअधिकारी
      भारतईयभारतीय
      गुणवानगुणवान
      क्रिया, काल और वाच्य

      क्रिया: जिन शब्दों से किसी कार्य के होने या करने का बोध हों, उन्हें क्रिया कहते हैं। क्रिया के दो भेद हैं:
      1. कर्म के आधार पर
      2. रचना के आधार पर

      काल: काम के होने के समय का बोध कराने वाले शब्द काल कहलाते हैं। काल के तीन भेद हैं:

      1. भूतकाल
      2. वर्तमान काल
      3. भविष्यत काल

      वाच्य: क्रिया के जिस रूप से पता चलता है कि क्रिया का विधान कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के तीन भेद हैं:
      1. कर्तुवाच्य
      2. कर्मवाच्य
      3. भाववाच्य

      अविकारी (अव्यय) शब्द: जिन शब्दों पर लिंग, वचन, कारक आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, उन्हें अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं। जैसे: यहाँ, इधर, ऊपर, नीचे आदि।
      अव्यय के पांच भेद होते हैं:

      1. क्रिया विशेषण
      2. सम्बन्धबोधक
      3. सम्मुचयबोधक
      4. विस्मयादिबोधक
      5. निपात

      वाक्य विचार: शब्दों का सार्थक तथा व्यवस्थित मेल वाक्य कहलाता है। वाक्य के मुख्यतः दो भेद होते हैं:

      1. उद्देश्य
      2. विधेय

      विराम चिह्न

      शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्य के अंत में ठहरने के लिए जिन चिह्नों को अंकित करना पड़ता है, उन्हें विराम चिह्न कहते हैं।

        • 1. पूर्ण विराम (।)
        • 2. अर्द्धविराम (;)
        • 3. अल्पविराम (,)
        • 4. प्रश्नसूचक (?)
        • 5. विस्मयादिबोधक (!)
        • 6. उद्धरण चिह्न (‘ ‘) (“ “)
        • 7. योजक चिह्न (-)
        • 8. निर्देशक चिह्न ( – )
        • 9. कोष्टक ( ) { } [ ]
        • 10. हंसपद या त्रुटिपूरक (^)
        • 11. लाघव चिह्न (०)

      पर्यायवाची शब्द: सामान अर्थ वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं।

      शब्दपर्यायवाची शब्द
      नदीसरिता, तटिनी, सलिला
      बादलघन, मेघ, नीरद
      सूर्यदिनकर, भाष्कर, सविता
      सोनाकंचन, कनक, स्वर्ण
      आकाशअम्बर, गगन, नभ
      पुत्रीलड़की, तनय, सुता

      विलोम शब्द: वे शब्द जो एक दूसरे का उलटा अर्थ देते हैं, विलोम शब्द कहलाते हैं।

      शब्दविलोम शब्द
      आस्तिकनास्तिक
      अल्पअधिक
      विशेषसामान्य
      आशानिराशा
      साकारनिराकर
      सरसनीरस

      उपसर्ग: वे शब्दांश जो शब्दों के आरम्भ में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। उपसर्गों को चार भागों में बांटा गया है:
      1. संस्कृत के उपसर्ग
      2. हिंदी के उपसर्ग
      3. उर्दू के उपसर्ग
      4. उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय

      प्रत्यय: जो शब्द किसी शब्द के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं:

      1. कृत प्रत्यय
      2. तद्धित प्रत्यय

      समास: दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नए शब्द बनाने की क्रिया को समास कहते है। समास के भेद:
      1. तत्पुरुष समास
      2. कर्मधारय समास
      3. अव्ययीभाव समास
      4. द्विगु समास
      5. द्वन्द समास
      6. बहुव्रीहि समास

      संधि: दो ध्वनियों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। संधियाँ तीन प्रकार की होती है:

      1. स्वर संधि
      2. व्यंजन संधि
      3. विसर्ग संधि

      अलंकार

      काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्मों को अलंकार कहते हैं, जिस प्रकार आभूषण पहनने से स्त्री का सौन्दर्य बढ़ जाता है उसी प्रकार कविताओं में अलंकार के प्रयोग से कविता का सौन्दर्य बढ़ जाता है।
      अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
      1. शब्दालंकार
      2. अर्थालंकार

      शब्दालंकार

      जिन अलंकारो में शब्दों के प्रयोग से काव्य सौन्दर्य में वृदि होती है, उन्हें शब्दालंकार कहते हैं। शब्दालंकार तीन प्रकार के होते हैं:
      1. अनुप्रास अलंकार
      2. यमक अलंकार
      3. श्लेष अलंकार

      अर्थालंकार

      कविता या काव्य में जहाँ शब्द के अर्थ के करण सुन्दरता एवं चमत्कार बढाया जाता है वहां अर्थालंकार होता है। अर्थालंकार चार प्रकार के होते हैं:
      1. उपमा अलंकार
      2. रूपक अलंकार
      3. उत्प्रेक्षा अलंकार
      4. अतिश्योक्ति अलंकार

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