सामाजिक न्याय
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 2022 (आईडब्ल्यूडी, 2022)
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री (श्री नारायण तातु राणे माननीय मंत्री, श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा माननीय राज्यमंत्री )ने महिलाओं के लिये एक विशेष उद्यमिता प्रोत्साहन अभियान - "समर्थ" (SAMARTH) की शुरुआत की है ।
- इस नई योजना का विस्तृत उद्देश्य कताई और बुनाई को छोड़कर वस्त्र क्षेत्र की समूची उपयोगिता श्रृंखला को शामिल करते हुए वस्त्र क्षेत्र में युवाओं को लाभकारी और निरंतर रोजगार प्रदान करने के लिए कौशल प्रदान करना है, जिससे रोजगार का व्यापक निर्माण होगा।
- भारत सरकार, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा सरकार के अन्य मंत्रालय मिलकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day- IWD) 8 मार्च, 2022 के परिप्रेक्ष्य के अवसर पर राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने 08 मार्च 2022 'नारी शक्ति पुरस्कार'- 2020 और 2021 प्रदान किए।
- हालांकि वर्ष 2020 और 2021 का पुरस्कार समारोह कोविड-19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण आयोजित नहीं हो पाया था।
- यह पुरस्कार उपलब्धि हासिल करने वाली 29 उत्कृष्ट और असाधारण महिलाओं को प्रदान किया गया।
- राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में लिखा "महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुकरणीय योगदान दे रही हैं , हम उनकी सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने और उनमें से प्रत्येक को अपने सपनों और आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के अवसर प्रदान करने के लिए खुद को फिर से प्रतिबद्ध करें।"
- नारी शक्ति पुरस्कार
- नारी शक्ति पुरस्कार महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा व्यक्तिगत महिलाओं या महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली संस्थाओं को दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है।
- 1999 में, स्त्री शक्ति पुरस्कार के शीर्षक के तहत इन पुरस्कारों की स्थापना की गई थी।
- 2015 में, पुरस्कारों को पुनर्गठित किया गया और इसका नाम बदलकर नारी शक्ति पुरस्कार कर दिया गया।यह पुरस्कार छह संस्थागत और दो व्यक्तिगत श्रेणियों में दिए जाते हैं। प्रत्येक संस्थागत श्रेणी का नाम भारतीय इतिहास की प्रसिद्ध महिला के नाम पर रखा गया है।
- इन पुरस्कारों में नकद पुरस्कार भी होता है जिसमे संस्थागत श्रेणी पुरस्कार के लिए नकद पुरस्कार 2 लाख रुपये और व्यक्तिगत श्रेणी पुरस्कार के लिए नकद पुरस्कार 1 लाख रुपये है।
- छह संस्थागत श्रेणियां
- देवी अहिल्या बाई होल्कर पुरस्कार -सर्वश्रेष्ठ निजी क्षेत्र के संगठन या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) के लिए दिया जाता है, जो महिलाओं के कल्याण को बढ़ावा देता है। इस पुरस्कार का नाम मराठा मालवा साम्राज्य की 18वीं शताब्दी की शासक अहिल्याबाई होल्कर (1725-1795) के नाम पर रखा गया है।
- कन्नगी देवी पुरस्कार -सर्वश्रेष्ठ राज्य के लिए दिया जाता है जिसने बाल लिंग अनुपात में सुधार किया है। इस पुरस्कार का नाम तमिल महाकाव्य सिलपथिकारम की केंद्रीय चरित्र कन्नगी के नाम पर रखा गया है। तमिल परंपरा में कन्नगी को देवी माना जाता है।
- जीजाबाई पुरस्कार - महिलाओं को सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करने के लिए सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय के लिए माता जीजाबाई पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई के नाम पर रखा गया है।
- रानी गाइदिनल्यू जेलियांग पुरस्कार - महिलाओं के कल्याण के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले एक नागरिक समाज संगठन को रानी गाइदिनल्यू जेलियांग पुरस्कार दिया जाता है।इस पुरस्कार का नाम 20वीं सदी की नागा आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता रानी गाइदिनल्यू के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था।
- रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार - महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान को दिया जाता है। इस पुरस्कार का नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर रखा गया है।
- रानी रुद्रमा देवी पुरस्कार - दो जिला पंचायतों और दो ग्राम पंचायतों को विशेष रूप से बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना से संबंधित महिला कल्याण के क्षेत्र में काम करने के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार का नाम दक्कन के पठार में काकतीय वंश की 13वीं शताब्दी की शासक रुद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है।
- दो व्यक्तिगत श्रेणियां
- साहस और बहादुरी के लिए पुरस्कार।
- महिलाओं के प्रयास, सामुदायिक कार्य, या फर्क करने, या महिला सशक्तिकरण में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए पुरस्कार।
नाम | राज्य | क्षेत्र | नाम | राज्य | क्षेत्र |
अनिता गुप्ता | बिहार | सामाजिक उद्यमशीलता | सथुपति प्रसन्ना श्री | आंध्रप्रदेश | भाषा-विज्ञानी– अल्पसंख्यक जनजातीय भाषा का संरक्षण |
उषाबेन दिनेशभाई वसावा | गुजरात | जैविक किसान और जनजातीय स्वयंसेवी | तागे रीता ताखे | अरुणाचल प्रदेश | उद्यमी |
नासिरा अख्तर | जम्मू एवं कश्मीर | नवोन्मेषी - पर्यावरण संरक्षण | मधुलिका रामटेक | छत्तीसगढ़ | समास सेवी |
संध्या धर | जम्मू एवं कश्मीर | समाज सेवी | निरंजनाबेन मुकुलभाई कालार्थी | गुजरात | लेखिका और शिक्षाशास्त्री |
निवृत्ति राय | कर्नाटक | कंट्री हेड, इंटेल इंडिया | पूजा शर्मा | हरियाणा | किसान और उद्यमी |
टिफेनी ब्रार | केरल | समाजसेवी – दृष्टि बाधितों के लिये कार्य | अंशुल मल्होत्रा | हिमाचल प्रदेश | बुनकर |
पद्मा यांगचान | लद्दाख | लद्दाख क्षेत्र में भूली-बिसरी पाक कला और वस्त्र को दोबारा जीवित करना | शोभा गस्ती | कर्नाटक | समाज सेवी – देवदासी प्रथा उन्मूलन के लिये कार्य |
जोधाइया बाई बैगा | मध्य प्रदेश | जनजातीय बैगा चित्रकार | राधिका मेनन | केरल | कप्तान मर्चेंट नेवी – आईएमओ द्वारा समुद्र में असाधारण वीरता दिखाने के लिये पुरस्कृत पहली महिला |
सायली नंदकिशोर अगवाने | महाराष्ट्र | डाउन सिंड्रोम से पीड़ित कथक नृत्यांगना | कमल कुम्भार | महाराष्ट्र | सामाजिक उद्यमी |
वनिता जगदेव बोराडे | महाराष्ट्र | सांपों को बचाने वाली पहली महिला बचावकर्ता | श्रुति महापात्रा | ओडिशा | दिव्यांगजन अधिकार कार्यकर्ता |
मीरा ठाकुर | पंजाब | सिक्की ग्रास कलाकार | बतूल बेगम | राजस्थान | मांड और भजन लोक गायन |
जया मुथू, तेजम्मा (संयुक्त रूप से) | तमिलनाडु | कलाकार – टोडा कढ़ाई | तारा रंगास्वामी | तमिलनाडु | मनोचिकित्सिक और शोधकर्ता |
इला लोध (मरणोपरान्त) | त्रिपुरा | प्रसूति विज्ञानी और स्त्री रोग विशेषज्ञ | नीरजा माधव | उत्तरप्रदेश | हिन्दी लेखिका – ट्रांसजेंडरों और तिब्बती शरणार्थियों के लिये कार्य |
आरती राणा | उत्तरप्रदेश | हथकरघा बुनकर और शिक्षक | नीना गुप्ता | पश्चिम बंगाल | गणितज्ञ |
'समर्थ' एक पहल :
मुख बिंदु :
- मंत्रालय की समर्थ पहल के अंतर्गत इच्छुक और मौजूदा महिला उद्यमियों को निम्नलिखित लाभ उपलब्ध कराये जायेंगे :
- मंत्रालय की कौशल विकास योजनाओं के अंतर्गत आयोजित निशुल्क कौशल विकास कार्यक्रमों में 20 % सीटें महिलाओं के लिये आवंटित की जाएंगी।
- मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विपणन सहायता के लिये योजनाओं के अंतर्गत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भेजे जाने वाले MSME व्यापार प्रतिनिधिमंडल का 20 % हिस्सा महिलाओं के स्वामित्व वाले MSME को समर्पित होगा।
- राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (National Small Industries Corporation-NSIC) की वाणिज्यिक योजनाओं के वार्षिक प्रसंस्करण शुल्क पर 20 % की छूट।
- NSIC, सूक्षम, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत भारत सरकार का एक उद्यम है।
- उद्यम पंजीकरण (Udyam Registration) के अंतर्गत महिलाओं के स्वामित्व वाले MSMEs के पंजीकरण के लिये विशेष अभियान।
- इस पहल के माध्यम से MSME मंत्रालय महिलाओं को कौशल विकास और बाज़ार विकास सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- ग्रामीण और उप-शहरी क्षेत्रों की 7500 से अधिक महिला उम्मीदवारों को वित्त वर्ष 2022-23 में प्रशिक्षित किया जाएगा।
- इसके अलावा हज़ारों महिलाओं को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने व उनके विपणन के अवसर मिलेंगे।
- साथ ही सार्वजनिक खरीद में महिला उद्यमियों की भागीदारी बढ़ाने के लिये वर्ष 2022-23 के दौरान NSIC की निम्नलिखित वाणिज्यिक योजनाओं पर वार्षिक प्रसंस्करण शुल्क पर 20 प्रतिशत की विशेष छूट की पेशकश की जाएगी:
- एकल बिंदु पंजीकरण योजना
- कच्चे माल की सहायता और बिल में छूट
- निविदा विपणन
- Business-to-Business (B2B) web portal - MSME Global Mart https://www.msmemart.com
उद्देश्यों
- कताई और बुनाई को छोड़कर, कपड़ा की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को कवर करते हुए, संगठित कपड़ा और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजित करने में उद्योग के प्रयासों को प्रोत्साहित करने और पूरक करने के लिए मांग संचालित, प्लेसमेंट उन्मुख राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) अनुरूप कौशल कार्यक्रम प्रदान करना।
- हथकरघा, हस्तशिल्प, रेशम उत्पादन और जूट के पारंपरिक क्षेत्रों में कौशल और कौशल उन्नयन को बढ़ावा देना।
- देश भर में समाज के सभी वर्गों को मजदूरी या स्वरोजगार द्वारा स्थायी आजीविका का प्रावधान करने में सक्षम बनाना।
- इस योजना का लक्ष्य 10.00 लाख व्यक्तियों (संगठित क्षेत्र में 9 लाख और पारंपरिक क्षेत्र में 1 लाख) को प्रशिक्षित करना है।
कौशल कार्यक्रम निम्नलिखित कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित किए जाएंगे:
- वस्त्र उद्योग।
- कपड़ा मंत्रालय/राज्य सरकारों के संस्थान/संगठन जिनके पास कपड़ा उद्योग के साथ प्रशिक्षण बुनियादी ढांचा और प्लेसमेंट टाई-अप है।
- कपड़ा उद्योग के साथ प्लेसमेंट टाई-अप रखने वाले प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान / गैर सरकारी संगठन / सोसायटी / ट्रस्ट / संगठन / कंपनियां / स्टार्ट अप / कपड़ा क्षेत्र में सक्रिय उद्यमी।
यह योजना मोटे तौर पर निम्नलिखित रणनीति अपनाएगी:
- मूल्यांकन के लिए न्यूनतम 80% उपस्थिति के साथ आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली
- आरएसए/एसएससी द्वारा प्रमाणित प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) प्रमाणन वाले प्रमाणित प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण
- संपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए सीसीटीवी रिकॉर्डिंग।
- आरएसए द्वारा सूचीबद्ध मूल्यांकन एजेंसियों द्वारा तृतीय पक्ष मूल्यांकन और प्रमाणन
- संगठित क्षेत्र (70%) और पारंपरिक क्षेत्र (50%) में अनिवार्य वेतन रोजगार के साथ प्लेसमेंट लिंक्ड स्किलिंग कार्यक्रम और एक वर्ष के लिए पोस्ट प्लेसमेंट ट्रैकिंग
- सक्रिय प्रशिक्षण केंद्रों का यादृच्छिक भौतिक सत्यापन
- एनएसक्यूएफ संरेखित पाठ्यक्रम
- मजबूत एमआईएस और वास्तविक समय योजना की जानकारी कपड़ा मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रचारित की गई।
- फीडबैक लेने के लिए कॉल सेंटर (हेल्पलाइन) की स्थापना
- निगरानी और कार्यान्वयन तंत्र को आसान बनाने के लिए विभिन्न हितधारकों के लिए मोबाइल ऐप।
- हाशिए पर पड़े सामाजिक समूहों और 115 आकांक्षी जिलों को दी गई वरीयता
- कपड़ा मंत्रालय के नामित शिकायत निवारण अधिकारी के साथ लोक शिकायत निवारण
- कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध, निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठित की जाने वाली आंतरिक शिकायत समिति
- MSDE के सामान्य मानदंडों के अनुसार वित्त पोषण
- MSDE के दिशानिर्देशों के अनुसार सामान्य ब्रांडिंग
- स्वरोजगार के लिए लाभार्थियों को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत रियायती ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस:
- प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया जाता है। सर्वप्रथम वर्ष 1909 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1977 में इसे अधिकारिक मान्यता प्रदान की गई।
- विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के उद्देश्य से इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
ऐतिहासिक पहलू:
- 28 फरवरी, 1909 को संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने इस दिन को न्यूयॉर्क में वर्ष 1908 की कपड़ा श्रमिकों की हड़ताल के सम्मान में नामित किया, जहाँ महिलाओं ने कामकाजी परिस्थितियों के खिलाफ विरोध किया था।
- हालाँकि अमेरिका में इसके बीज बहुत पहले बोये जा चुके थे जब वर्ष 1848 में महिलाओं को गुलामी विरोधी सम्मेलन में बोलने से रोक दिया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 का विषय है, “ ‘breaking the bias", हालांकि भारत में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘सस्टेनेबल कल के लिए लैंगिक समानता’ (gender equality today for a sustainable tomorrow) है। 8 मार्च का यह खास दिन महिलाओं को समान हक, सम्मान को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है.
- इस वर्ष ‘यूएन वीमेन’ (UN Women) की 12वीं वर्षगांठ भी मनाई जाएगी।
IWD 2022 उद्देश्य:
- पीढ़ीगत समानता अभियान के तहत हर लिंग, आयु, नस्ल, धर्म और देश के लोगों को एक साथ लाया जा सके तथा ऐसे अभियान चलाए जाए ताकि लैंगिक-समानता युक्त दुनिया का निर्माण हो सके।
- लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करना, आर्थिक न्याय और अधिकारों की प्राप्ति, शारीरिक स्वायत्तता, यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकार, जलवायु न्याय के लिये नारीवादी कार्यवाही तथा लैंगिक समानता के लिये प्रौद्योगिकी और नवाचारों का उपयोग जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में छोटे-छोटे कार्यों द्वारा व्यापक परिवर्तन लाया जा सकता है।
संबंधित आंकड़े :
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, कानूनी प्रतिबंधों ने 2.7 बिलियन महिलाओं को पुरुषों के समान नौकरियों तक पहुँच से वंचित रखा है।
- वर्ष 2019 तक संसद में महिलाओं की भागीदारी 25% से कम थी।
- प्रत्येक तीन में से एक महिला लिंग आधारित हिंसा का अनुभव करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019 में कोविड महामारी से पहले, भारत में महिला श्रम बल की भागीदारी 20.5% थी, जबकि तुलनात्मक रूप से महिलाओं के लिये यह अनुमान 76% था।
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) के वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक/ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (जो लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को मापता है) के अंतर्गत भारत दक्षिण एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है, वर्ष 2021 में यह 156 देशों में 140वें स्थान पर रहा।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के अनुसार, वर्ष 2015-16 के 53% की तुलना में वर्ष 2019-21 में 15-49 आयु वर्ग की 57% महिलाएँ रक्ताल्पता से पीड़ित थीं।
भारत में महिलाओं के लिये सुरक्षात्मक उपाय:
संवैधानिक सुरक्षा उपाय:
- मूल अधिकार: यह सभी भारतीयों को समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14), लिंग के आधार पर राज्य द्वारा किसी प्रकार का विभेद नहीं [अनुच्छेद 15(1)] किये जाने और महिलाओं के पक्ष में राज्य द्वारा किये जाने वाले विशेष प्रावधानों की गारंटी देता है [अनुच्छेद 15 (3)]।
- मौलिक कर्तव्य: संविधान अनुच्छेद 51 (A)(e) के माध्यम से महिलाओं की गरिमा के लिये अपमानजनक प्रथाओं को त्यागने हेतु प्रत्येक नागरिक हेतु मौलिक कर्तव्य का प्रावधान करता है।
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005: यह घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को अभियोजन के माध्यम से व्यावहारिक उपचार के साधन प्रदान करता है।
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961: यह दहेज के अनुरोध, भुगतान या स्वीकृति को प्रतिबंधित करता है।
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013: यह विधायी अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करता है।
- संबंधित योजनाएँ: महिला ई-हाट, महिला प्रौद्योगिकी पार्क, ‘जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस’ (Gender Advancement for Transforming Institutions- GATI) इत्यादि।
महिलाओं से संबंधित वैश्विक सम्मेलन:
- महिलाओं पर विश्व सम्मेलन 1970 के दशक में शीत युद्ध के बीच हुआ था ।
- संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं पर 4 विश्व सम्मेलन आयोजित किये हैं:
- मेक्सिको सिटी, 1975
- महिलाओं पर विश्व सम्मेलन, 19 June to 2 July 1975 के बीच मेक्सिको सिटी, मेक्सिको में आयोजित किया गया था।
- यह केवल महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन था और नीति निर्देशों में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस बैठक के बाद, महिलाओं को सहायता प्राप्त करने वालों के बजाय नीति विकसित करने और लागू करने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में देखा गया।
- यह सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के लिए स्थापित कार्यक्रमों में से एक था और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और उनकी समानता को खत्म करने में हुई प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए महिलाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र दशक और अनुवर्ती सम्मेलन दोनों का निर्माण हुआ । सम्मेलन की कार्यवाही से दो दस्तावेजों को अपनाया गया, विश्व कार्य योजना जिसमें महिलाओं के सुधार के लिए राष्ट्रों को लागू करने के लिए विशिष्ट लक्ष्य थे और महिलाओं की समानता और विकास और शांति में उनके योगदान पर मेक्सिको की घोषणा , जिसमें चर्चा की गई थी कि राष्ट्रों की विदेश नीति की कार्रवाइयों ने महिलाओं को कैसे प्रभावित किया। इसने महिलाओं की उन्नति के लिए अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की, ताकि सुधार और निरंतर मुद्दों पर नज़र रखी जा सके और महिलाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कोष को विकासात्मक कार्यक्रमों के लिए धन उपलब्ध कराया जा सके।
- सम्मेलन ने पहली बार चिह्नित किया कि समानांतर ट्रिब्यून बैठक आधिकारिक बैठक में इनपुट जमा करने में सफल रही और दुनिया भर में महिलाओं के समूहों के गठन के लिए उत्प्रेरक बन गई।
- कोपेनहेगन, 1980
- महिलाओं पर दूसरा विश्व सम्मेलन 1980 में कोपेनहेगन में आयोजित किया गया था।
- सम्मेलन में इस बात पर सहमति हुई कि महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर 1979 का सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
- कोपेनहेगन सम्मेलन ने महिलाओं के लिए सुरक्षित किए जा रहे अधिकारों और उन अधिकारों का प्रयोग करने की महिलाओं की क्षमता के बीच अंतर को भी स्वीकार किया। यह भी सहमति हुई कि यह तीन क्षेत्रों पर कार्रवाई थी: शिक्षा की समान पहुंच; रोजगार के अवसर; और मेक्सिको में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं आवश्यक हैं।
- नैरोबी, 1985
- महिलाओं पर तीसरा विश्व सम्मेलन 1985 में नैरोबी में आयोजित किया गया था।
- नैरोबी सम्मेलन ने उन क्षेत्रों को निर्धारित किया जिनके द्वारा महिलाओं की समानता में प्रगति को मापा जा सकता है: संवैधानिक और कानूनी उपाय; सामाजिक भागीदारी में समानता; राजनीतिक भागीदारी में समानता; और निर्णय लेना।
- सम्मेलन ने यह भी स्वीकार किया कि महिलाओं को मानव गतिविधि के सभी क्षेत्रों में भाग लेने की आवश्यकता है, न कि केवल उन क्षेत्रों में जो लिंग से संबंधित हैं।
- बीजिंग, 1995
- बीजिंग में आयोजित महिलाओं पर चौथा विश्व सम्मेलन (WCW), संयुक्त राष्ट्र की अब तक की सबसे बड़ी सभाओं में से एक था और लैंगिक समानता एवं महिलाओं के सशक्तीकरण पर विश्व का ध्यान आकर्षित करने के संदर्भ में यह एक महत्त्वपूर्ण मोड़ था।
- बीजिंग घोषणापत्र महिला सशक्तीकरण का एक एजेंडा है और इसे लैंगिक समानता पर प्रमुख वैश्विक नीति दस्तावेज़ माना जाता है।
- यह महिलाओं की उन्नति, स्वास्थ्य तथा सत्ता में स्थापित एवं निर्णय लेने वाली महिलाओं, बालिकाओं व पर्यावरण जैसी चिंताओ के 12 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में लैंगिक समानता की उपलब्धि के लिये रणनीतिक उद्देश्यों और कार्यों को निर्धारित करता है।
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने विकासशील देशों में गरीब महिलाओं के लिये एक ‘अस्थायी मूल आय’ (TBI) का प्रस्ताव किया है, ताकि उन्हें कोरोना महामारी के प्रभावों से निपटने में मदद मिल सके और प्रतिदिन उनके सामने आने वाले आर्थिक दबाव को कम किया जा सके।