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नशा मुक्त भारत अभियान

नशा मुक्त भारत अभियान 

नशा मुक्त भारत अभियान: एक विस्तृत विश्लेषण (2025)

चर्चा में क्यों?

भारत में नशीली दवाओं का बढ़ता दुरुपयोग एक गंभीर सामाजिक-आर्थिक चुनौती बन चुका है। इसी समस्या से निपटने के लिए 15 अगस्त 2020 को नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA) की शुरुआत की गई थी, और अब अगस्त 2025 में इसके क्रियान्वयन के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं। यह अभियान देश को नशा मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

अभियान का परिचय

नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA) भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक राष्ट्रव्यापी पहल है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन से मुक्त करना है।

मुख्य उद्देश्य:

  • जागरूकता बढ़ाना: विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों में मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

  • पहचान और उपचार: व्यसनग्रस्त आबादी की पहचान करना तथा परामर्श एवं उपचार सुविधाओं को मज़बूत करना।

  • रोकथाम और पुनर्वास: नशीली दवाओं के उपयोग को रोकने के लिए शिक्षित करना, परामर्श, उपचार और पुनर्वास की सुविधा प्रदान करना।

  • सामाजिक मुख्यधारा में लाना: नशा करने वाले व्यक्तियों के प्रति भेदभाव को कम करके उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाना।

अभियान की त्रि-आयामी रणनीति

यह अभियान तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है:

  1. आपूर्ति नियंत्रण (Supply Control):

    • नोडल एजेंसी: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)।

    • कार्य: नशीली दवाओं की तस्करी को रोकना और आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करना।

  2. मांग में कमी (Demand Reduction):

    • नोडल एजेंसी: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय।

    • कार्य: व्यापक जागरूकता अभियानों और समुदाय-आधारित कार्यक्रमों के माध्यम से नशीली दवाओं की मांग को कम करना।

  3. चिकित्सा उपचार और पुनर्वास (Medical Treatment & Rehabilitation):

    • नोडल एजेंसी: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय।

    • कार्य: नशामुक्ति केंद्र (IRCAs) स्थापित करना और उपचार सुविधाएं प्रदान करना।

अभियान का विस्तार

यह अभियान चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया गया है:

  • प्रारंभिक चरण (2020): राष्ट्रीय सर्वेक्षण और NCB के आंकड़ों के आधार पर पहचाने गए 272 सबसे संवेदनशील जिलों में शुरू किया गया।

  • वर्तमान स्थिति (2025): अब इसका विस्तार भारत के सभी जिलों तक कर दिया गया है, जिससे यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन गया है।

प्रमुख उपलब्धियां (अगस्त 2025 तक)

पिछले पांच वर्षों में अभियान ने महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं:

  • जन जागरूकता: 18.07 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच बनाई गई है।

  • संस्थागत भागीदारी: 4.85 लाख से अधिक शैक्षणिक और सामाजिक संस्थान इस अभियान से जुड़े हैं।

  • युवा लामबंदी: 1.67 करोड़ से अधिक छात्रों ने कार्यक्रमों और प्रतिज्ञाओं में भाग लिया है।

  • स्वयंसेवी नेटवर्क: 20,000 से अधिक मास्टर स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है।

  • उपचार और पुनर्वास: 27.76 लाख से अधिक व्यक्तियों को उपचार प्रदान किया गया है और 730 से अधिक निःशुल्क केंद्र स्थापित किए गए हैं।

  • आध्यात्मिक सहयोग: आर्ट ऑफ़ लिविंग, ब्रह्माकुमारीज़, और ISKCON जैसे कई आध्यात्मिक संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

तकनीकी नवाचार

अभियान को प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है:

  • NMBA वेबसाइट (nmba.dosje.gov.in): यह संसाधनों, रियल-टाइम डैशबोर्ड और ई-प्रतिज्ञा जैसी सुविधाएं प्रदान करती है।

  • NMBA मोबाइल ऐप: जमीनी स्तर पर डेटा एकत्र करने और गतिविधियों की निगरानी के लिए।

  • राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन (14446): तत्काल परामर्श और रेफरल सेवाएं प्रदान करती है।

  • जियो-टैगिंग: गतिविधियों की निगरानी और प्रभाव का आकलन करने के लिए।

संवैधानिक और कानूनी आधार

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47: यह राज्य पर नैतिक दायित्व डालता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पदार्थों के सेवन पर अंकुश लगाए।

  • राष्ट्रीय कार्य योजना (2018): नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए 2025 तक का रोडमैप तैयार किया गया।

चुनौतियां और आगे की राह

हालांकि अभियान सफल रहा है, फिर भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं:

  • सामाजिक कलंक: नशा करने वालों को अभी भी समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है, जिससे वे उपचार के लिए आगे नहीं आते।

  • आपूर्ति श्रृंखला: सीमा पार से नशीली दवाओं की तस्करी एक बड़ी चुनौती है।

  • मानसिक स्वास्थ्य: नशे की लत को एक मानसिक-सामाजिक-चिकित्सा समस्या के रूप में देखने की आवश्यकता है।

आगे की राह:

  • जन-आंदोलन बनाना: अभियान को एक जन-आंदोलन बनाने की आवश्यकता है, जैसा कि 26 जून, 2025 को 'अंतरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध दिवस' के अवसर पर जोर दिया गया।

  • युवाओं पर ध्यान केंद्रित करना: युवाओं को स्वस्थ, अनुशासित और नशा मुक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ताकि वे राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।

  • निरंतरता और विस्तार: अभियान को निरंतर जारी रखने और इसकी पहुंच को और बढ़ाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

नशा मुक्त भारत अभियान एक शक्तिशाली राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में उभरा है, जो मादक द्रव्यों के सेवन के खतरे से निपटने के लिए विभिन्न हितधारकों को एक साथ ला रहा है। लक्षित हस्तक्षेप, व्यापक जागरूकता, तकनीकी उपकरणों और मजबूत जमीनी भागीदारी के माध्यम से, यह अभियान भारत को एक स्वस्थ, समर्थ और नशा मुक्त भविष्य की ओर ले जा रहा है। जैसे-जैसे इसका प्रभाव बढ़ रहा है, भारत अपने सभी नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध वातावरण बनाने के अपने सपने को साकार करने के करीब पहुंच रहा है।

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