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"भारत की नई अंतरिक्ष नीति"

  "भारत की नई अंतरिक्ष नीति" 

मुख्य विचार:
भारत सरकार ने एक नई अंतरिक्ष नीति की घोषणा की है जिसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष अन्वेषण (Space Exploration) में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ाना है। पहले अंतरिक्ष से जुड़े ज़्यादातर काम सिर्फ़ सरकारी एजेंसी इसरो (ISRO) ही करती थी, लेकिन अब सरकार चाहती है कि निजी कंपनियाँ भी इस क्षेत्र में आगे आएँ।

इस नीति के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

  1. निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना:

    • अब निजी कंपनियाँ भी सैटेलाइट बना सकेंगी, रॉकेट लॉन्च कर सकेंगी और अंतरिक्ष से जुड़ा डेटा बेच सकेंगी।

    • सरकार चाहती है कि इसरो अब रिसर्च और डेवलपमेंट (नई तकनीकों के विकास) पर ज़्यादा ध्यान दे और छोटे-मोटे व्यावसायिक काम निजी कंपनियों को सौंप दे।

  2. अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना:

    • जब निजी कंपनियाँ इस क्षेत्र में निवेश करेंगी, तो नए रोज़गार पैदा होंगे।

    • अंतरिक्ष से जुड़ी नई-नई सेवाएँ (जैसे बेहतर इंटरनेट, सटीक मैपिंग) शुरू होंगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

  3. भूमिकाओं का स्पष्टीकरण:

    • इसरो (ISRO): इसरो का मुख्य काम अब अंतरिक्ष से जुड़ी नई तकनीकों पर शोध करना, गहरे अंतरिक्ष के मिशन (जैसे मंगलयान, चंद्रयान) को अंजाम देना और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े काम करना होगा।

    • IN-SPACe (इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर): यह एक नई संस्था है जो इसरो और निजी कंपनियों के बीच एक पुल का काम करेगी। कोई भी निजी कंपनी जिसे अंतरिक्ष से जुड़ा काम करना है, उसे IN-SPACe से अनुमति लेनी होगी।

    • निजी कंपनियाँ: ये कंपनियाँ सैटेलाइट बनाने, लॉन्च सेवाएं देने और अंतरिक्ष से मिले डेटा का उपयोग करके व्यावसायिक उत्पाद बनाने जैसे काम करेंगी।

इसका राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

  • निवेश और रोज़गार: अंतरिक्ष क्षेत्र में अरबों डॉलर का नया निवेश आएगा, जिससे हज़ारों कुशल नौकरियाँ पैदा होंगी।

  • नई तकनीक और स्टार्टअप: कई नए स्टार्टअप खुलेंगे जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर काम करेंगे। इससे देश में एक नया इनोवेशन इकोसिस्टम तैयार होगा।

  • वैश्विक बाज़ार में हिस्सेदारी: भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा और यह वैश्विक अंतरिक्ष बाज़ार (Global Space Market) में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकेगा। अभी यह बाज़ार लगभग $400 बिलियन का है और भारत की हिस्सेदारी सिर्फ़ 2% के आसपास है। इस नीति से इसे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

सारांश में:
यह नीति भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई दिशा दे रही है। अब इसरो अकेले सब कुछ नहीं करेगा, बल्कि निजी कंपनियाँ भी इस दौड़ में शामिल होंगी। इससे न केवल इसरो का बोझ कम होगा, बल्कि भारत एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में और भी मज़बूत होगा और देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा फ़ायदा होगा।

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