जैव विविधता और पर्यावरण
वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022
प्रिलिम्स के लिये:
- जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, आदिवासी, 2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क, जैव विविधता पर अंतर्राष्ट्रीय स्वदेशी मंच
मेन्स के लिये:
- आदिवासी और उनकी कठिनाइयाँ 2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क, जैव विविधता पर अंतर्राष्ट्रीय स्वदेशी मंच
चर्चा में क्यों?
- जैविक विविधता पर 15वें सम्मेलन (COP-15) में संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (CBD) के पक्षकारों ने आदिवासी लोगों का प्रतिनिधित्त्व करने वाले एक समूह ने ज़ोर देकर कहा कि वर्ष 2020 के बाद ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (GBF) को आदिवासी लोगों और स्थानीय समुदायों (IPCL) के अधिकारों का सम्मान, संवर्द्धन और समर्थन करने पर काम करना चाहिये।
- जैव विविधता पर अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी मंच (IIFB) के सदस्यों ने भी आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिये बल दिया ।
आदिवासी तनावग्रस्त प्रमुख क्षेत्र:
- आदिवासी समुदाय जैव विविधता के प्रमुख संरक्षक रहे हैं इसलिए इनके अधिकारों को पहचानने और संरक्षित करने की आवश्यकता है।
- GBF को आदिवासी समुदायों के लिये, "मानवाधिकार-आधारित दृष्टिकोण अपनाते हुए, विशेष रूप से आदिवासियों के सामूहिक अधिकारों, लैंगिक समानता, सुरक्षा और पूर्ति व उनके अधिकारों की रक्षा के लिये नवीन तरीकों की तलाश करनी चाहिये।
- 2020 के बाद GBF के कार्यान्वयन में स्वतंत्रता, पूर्व और सूचित सहमति के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए पारंपरिक ज्ञान, प्रथाओं और तकनीकों को शामिल किया जाना चाहिये।
ढांचे की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति
- कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (CBD) के कार्यकारी सचिव एलिजाबेथ मारुमा मर्मा ने कहा कि कुनमिंग घोषणा का पारित होना महत्वाकांक्षाओं के लिए विश्वव्यापी समर्थन को दर्शाता है जो 2020 के बाद के वैश्विक जैव विविधता ढांचे में परिलक्षित होना चाहिए।
- इस रूपरेखा को अगले साल अंतिम रूप दिया जाएगा।
- समझौते में हानिकारक सब्सिडी को समाप्त करने या पुनर्निर्देशित करने और प्रगति की निगरानी और समीक्षा में स्थानीय समुदायों और जनजातीय लोगों की पूर्ण और प्रभावी भागीदारी को मान्यता देने का आह्वान किया गया है।
- उच्च स्तरीय बैठक के दौरान, वैश्विक पर्यावरण सुविधा, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने विकासशील देशों के लिए तत्काल वित्तीय और तकनीकी सहायता तक तेजी से पहुंच की घोषणा की।
- अगले साल सीओपी15 के दूसरे चरण में औपचारिक समझौते के बाद ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क को त्वरित गति से लागू करने की तैयारी करने की बात कही गई है।
जैव विविधता संरक्षण में आदिवासी समुदायों की भूमिका ?
प्राकृतिक वनस्पतियों का संरक्षण :-
- आदिवासी समुदायों पेड़ों को देवी-देवताओं के निवास स्थान के रूप में धार्मिक विश्वास वनस्पतियों के प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- फसलों, जंगली फलों, बीज, कंद-मूल आदि विभिन्न प्रकार के पौधों का जनजातीय और आदिवासी लोगों द्वारा संरक्षण किया जाता है जिससे खाद्य ज़रूरतों के लिये पर निर्भर हैं।
पारंपरिक ज्ञान का अनुप्रयोग :-
- ग्रामीण समुदायों औषधीय पौधों की खेती और उनके प्रचार के लिये आदिवासी लोगों के स्वदेशी ज्ञान का उपयोग
- संरक्षित पौधों में कई साँप और बिच्छू के काटने या टूटी हड्डियों व आर्थोपेडिक उपचार के लिये प्रयोग में लाए जाने पौधे हैं।
आदिवासी समुदाय की चुनौतियाँ:
- प्रकृति और स्थानीय लोगों के बीच व्यवधान: जैव विविधता की रक्षा हेतु स्थानीय लोगों को उनके प्राकृतिक आवास से अलग करने से जुड़ा दृष्टिकोण और संरक्षणवादियों के बीच संघर्ष का मूल कारण है।
- किसी भी प्राकृतिक आवास को एक विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) के रूप में चिह्नित किये जाने के साथ ही यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) उस क्षेत्र के संरक्षण का प्रभार ले लेता है।
- यह संबंधित क्षेत्रों में बाहरी लोगों और तकनीकी उपकरणों के प्रवेश (संरक्षण के उद्देश्य से) को बढ़ावा देता है, जो स्थानीय लोगों के जीव को बाधित करता है।
- वन अधिकार अधिनियम का शिथिल कार्यान्वयन: वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act- FRA) को लागू करने में भारत के कई राज्यों का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है।
- इसके अलावा विभिन्न संरक्षण संगठनों द्वारा FRA की संवैधानिकता को कई बार सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती भी दी गई है।
- एक याचिकाकर्त्ता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में यह तर्क दिया गया कि क्योंकि संविधान के अनुच्छेद-246 के तहत भूमि को राज्य सूची का विषय माना गया है, ऐसे में FRA को लागू करना संसद के अधिकार क्षेत्र के बाहर है।
- विकास बनाम संरक्षण: अधिकांशतः ऐसा देखा गया है कि सरकार द्वारा विकास के नाम पर बाँध, रेलवे लाइन, सड़क विद्युत संयंत्र आदि के निर्माण के लिये आदिवासी समुदाय के पारंपरिक प्रवास क्षेत्र की भूमि का अधिग्रहण कर लिया जाता है।
- इसके अलावा इस प्रकार के विकास कार्यों के लिये आदिवासी लोगों को उनकी भूमि से ज़बरन हटाने से पर्यावरण को क्षति होने के साथ-साथ मानव अधिकारों का उल्लंघन होता है।
यूरोपीय संकल्प (लक्ष्य और उद्देश्य)
- यूरोपीय संघ ने जैव विविधता के लिए बाहरी फंड को दोगुना करने की घोषणा की है।
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने जैव विविधता के लिए जलवायु कोष के धन का 30% उपयोग करने की अपनी प्रतिज्ञा को रेखांकित किया है। ब्रिटेन ने भी क्लाइमेट फंड में बढ़ोतरी के बाद जैव विविधता में अपना हिस्सा बढ़ाने की घोषणा की है।
- इसके अलावा, 12 ट्रिलियन यूरो की संपत्ति वाले वित्तीय संस्थानों के गठबंधन ने अपनी गतिविधियों और निवेशों के माध्यम से जैव विविधता को बचाने और बहाल करने का वचन दिया है।
- अगले साल जनवरी में ढांचे पर औपचारिक चर्चा के बाद, देशों के मई 2022 में प्रस्तावित ढांचे को पारित करने की उम्मीद है।
- जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान एक साथ तीन बैठकें हो रही हैं। COP15 के अलावा, बायोसिक्योरिटी पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल और आनुवंशिक संसाधनों की पहुंच और साझाकरण पर नागोया प्रोटोकॉल पर भी बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
- COP15 सम्मेलन दो चरणों में आयोजित किया गया है।
- पहला चरण मुख्य रूप से सोमवार से शुक्रवार (11 अक्टूबर से 15 अक्टूबर) तक आयोजित किया जा रहा है, इसके बाद 2022 में 25 अप्रैल से 8 मई तक कुनमिंग में एक बैठक होगी, जिसमें प्रतिनिधि व्यक्तिगत रूप से भाग लेंगे।