भारत में विज्ञान नीति का निव (The direction of science policy in India)
भारत में विज्ञान नीति का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान, विकास और नवाचार को प्रोत्साहित कर देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को सशक्त बनाना है। स्वतंत्रता के बाद 1958 में पहली बार भारत ने अपनी विज्ञान नीति प्रस्तुत की, जिसे वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास के लिए नींव माना जाता है। यह नीति तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महान वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा के मार्गदर्शन में तैयार की गई थी।
विज्ञान नीति के प्रमुख पहलुओं और विकास क्रम की मुख्य बातें निम्न हैं:
-
विज्ञान नीति संकल्प, 1958
-
यह भारत की पहली विज्ञान नीति थी, जिसने वैज्ञानिक अनुसंधान को देश के विकास के लिए आवश्यक माना।
-
नीति ने वैज्ञानिक गतिविधियों को संस्था आधारित बनाकर राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, अनुसंधान परिषदों (जैसे CSIR) की स्थापना को बढ़ावा दिया।
-
आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना इसका मूल उद्देश्य था।
-
-
प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य, 1983
-
इस नीति ने स्वदेशी तकनीकों के विकास और उपयोग को प्राथमिकता दी।
-
तकनीकी आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया, साथ ही विदेशी तकनीकों के उपयोग में सावधानी रखने को कहा गया।
-
नीति ने तकनीकी नवाचार के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित किया।
-
-
विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति, 2003
-
वैश्विक प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मेल को सुनिश्चित करना।
-
अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, ताकि भारत एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बन सके।
-
-
विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति, 2013
-
इसे नवाचार के दशक के रूप में परिभाषित किया गया।
-
मेला विज्ञान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर जोर दिया गया।
-
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास किए गए।
-
-
विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति, 2020 (ड्राफ्ट)
-
यह नीति COVID-19 महामारी के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही है।
-
समावेशी और बहुआयामी अनुसंधान के लिए विभिन्न हितधारकों को साथ लाने की योजना है।
-
आत्मनिर्भर भारत के लिए स्वदेशी तकनीक, महिलाओं, पंचायतों के सशक्तिकरण और सामाजिक हितों पर जोर।
-
राष्ट्रीय STI ऑब्जर्वेटरी का निर्माण, खुली विज्ञान (Open Science) का विस्तार और वित्तीय, तकनीकी सहयोग को बढ़ावा।
-
विज्ञान नीति का महत्व:
-
वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास को देश के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास से जोड़ना।
-
वैज्ञानिक शिक्षा, नवाचार, तकनीकी उत्पादन और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि।
-
उद्योग, शिक्षा, अनुसंधान संस्थानों, सरकार और नागरिकों के बीच सहयोग आधारित मॉडल को बढ़ावा।
-
विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, रक्षा, और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों को सशक्त करना।
निष्कर्ष:
भारत की विज्ञान नीति देश के विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को केंद्रीय भूमिका में रखती है। यह नीतियाँ समय के साथ विकसित हुई हैं और नई चुनौतियों, तकनीकी प्रगति तथा वैश्विक परिवर्तनों के अनुसार स्वरूप बदलती रही हैं। वर्तमान में चल रही पाँचवीं विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति 2020 में वैज्ञानिक अनुसंधान को और अधिक समावेशी, नवाचार पर्यावरण को सुदृढ़ और स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता देने की दिशा में काम किया जा रहा है, जिससे भारत एक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बन सके।
इस प्रकार भारत की विज्ञान नीति केवल अनुसंधान और तकनीकी उन्नति तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास, आर्थिक प्रगति और समाज के समग्र कल्याण के लिए एक दिशा-दर्शक दस्तावेज है।