विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology - DST)
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख विभाग है, जिसकी स्थापना मई 1971 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नए और उभरते हुए क्षेत्रों को बढ़ावा देना तथा राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक और तकनीकी गतिविधियों का समन्वय, संगठन और प्रचार करना है।
DST के प्रमुख दायित्वों और कार्यक्षेत्र इस प्रकार हैं:
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों का निर्माण एवं उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देना।
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अनुसंधान और विकास के लिए फंडिंग प्रदान करना और वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं को प्रतिभागिता, फैलोशिप, और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में जाने के अवसर उपलब्ध कराना।
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विज्ञान और तकनीकी अवसंरचना का विकास, जैसे मега रिसर्च फैसिलिटीज, सामूहिक प्रयोगशाला सुविधाएँ और अनुसंधान केंद्र।
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विभिन्न तकनीकी मिशन जैसे नैनो तकनीक मिशन, राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन, क्वांटम मिशन आदि का संचालन।
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महिला वैज्ञानिकों के लिए विशेष कार्यक्रम और शोध क्षमता विकास के कार्यक्रम।
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प्रौद्योगिकी विकास एवं हस्तांतरण, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे सामाजिक-आर्थिक प्रोग्रामों का समन्वय।
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अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना।
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राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना प्रणाली (NSTMIS) के माध्यम से विज्ञान की जानकारी का संग्रहण और प्रचार।
DST का नेटवर्क देशभर के विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, उद्योगों और सरकारी विभागों से जुड़ा हुआ है, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार और विकास की प्रक्रिया को सशक्त बनाता है। यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ तकनीकी नवाचार और व्यवसायिक रूपांतरण को भी प्रोत्साहित करता है, जिससे भारत का विज्ञान-तकनीकी आधार मजबूत होता है और देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।
अर्थात्, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समग्र विकास, शोध गतिविधियों के संवर्धन, नवाचारों के प्रसार, और तकनीकी क्षेत्रों में भारत को वैश्विक नेतृत्व दिलाने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसका योगदान शोध, तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर, मानव संसाधन विकास और नीति निर्माण के माध्यम से भारत के विज्ञान-प्रौद्योगिकी परिदृश्य को गतिशील और प्रगतिशील बनाता है।