जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology - DBT)
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख विभाग है, जिसकी स्थापना 1986 में हुई। इसका मुख्य उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार, विकास और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना है।
DBT के प्रमुख कार्य और विशेषताएँ:
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जैव प्रौद्योगिकी और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन प्रदान करता है।
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जैव चिकित्सा, कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, पर्यावरण संरक्षण, खाद्य प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी का विकास करता है।
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राष्ट्रीय स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियाँ बनाता है और अनुसंधान संस्थानों और कॉलेजों में वित्तीय व तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
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स्वायत्त अनुसंधान संस्थानों का संचालन करता है जो इम्यूनोलॉजी, आणविक जीवविज्ञान, प्लांट जीनोमिक्स, स्टेम सेल रिसर्च, बायोमेडिकल जीनोमिक्स और कृषि जैवप्रौद्योगिकी में कार्यरत हैं।
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बायोटेक उद्योग और स्टार्टअप्स के लिए समर्थन प्रदान करता है, विशेषकर बायोटेक इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) के माध्यम से।
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अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत अंतरिक्ष में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में ISRO के साथ साझेदारी करता है।
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जैव प्रौद्योगिकी के प्रचार-प्रसार के लिए सम्मेलनों, कार्यशालाओं और जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
DBT भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को मजबूत करते हुए स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और पर्यावरण में वैज्ञानिक अनुसंधान को व्यावसायिक और सामाजिक महत्व देने में अग्रणी भूमिका निभाता है। इसकी गतिविधियाँ आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के विकास, संस्थागत प्रबंधन, नवाचार प्रोत्साहन, और अंतरराष्ट्रीय समन्वय के माध्यम से देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।