अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल
परिचय और विकास
अग्नि-5 भारत की सबसे उन्नत इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। यह मिसाइल भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 1980 के दशक में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में हुई थी।
तकनीकी विशेषताएं
भौतिक आयाम
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लंबाई: 17 मीटर (17.5 मीटर)
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व्यास: 2 मीटर
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भार: लगभग 50 टन
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पेलोड क्षमता: 1.5 टन तक का परमाणु हथियार
प्रणोदन प्रणाली
अग्नि-5 एक तीन चरणों वाली ठोस ईंधन से संचालित मिसाइल है। इसकी चरणबद्ध कार्यप्रणाली निम्नलिखित है:
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पहला चरण: मिसाइल को 40 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाता है
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दूसरा चरण: 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचाता है
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तीसरा चरण: 300 किलोमीटर तक, कुल मिलाकर 800 किलोमीटर की अधिकतम ऊंचाई
उन्नत तकनीकी सुविधाएं
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कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम: आसान परिवहन और त्वरित तैनाती
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रोड-मोबाइल: किसी भी स्थान से लॉन्च की जा सकती है
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रिंग लेजर जायरोस्कोप और एक्सेलेरोमीटर: अत्यधिक सटीक नेविगेशन
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कोनिकल मोटर: तीसरे चरण में उपयोग
MIRV तकनीक
मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV)
अग्नि-5 में MIRV तकनीक है, जो इसे विशेष रूप से शक्तिशाली बनाती है:
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एक ही मिसाइल से 10-12 अलग-अलग परमाणु हथियार ले जा सकती है
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प्रत्येक वॉरहेड को सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर अलग-अलग लक्ष्यों पर दागा जा सकता है
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यह दुश्मन की हवाई रक्षा प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है
MIRV क्लब में शामिली
इस तकनीक के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास MIRV क्षमता है, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं।
मारक क्षमता और रेंज
रेंज और कवरेज
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मारक क्षमता: 5,000 किलोमीटर से अधिक
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समय: लक्ष्य तक पहुंचने में केवल 20 मिनट
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सटीकता: 1.5 मीटर के टारगेट पर निशाना लगा सकती है
भौगोलिक कवरेज
अग्नि-5 की रेंज से निम्नलिखित क्षेत्र इसके दायरे में आते हैं:
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संपूर्ण एशिया (अमेरिका को छोड़कर)
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अफ्रीका का पूरा महाद्वीप
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यूरोप का अधिकांश भाग
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चीन के उत्तरी हिस्से सहित पूरा चीन
रणनीतिक महत्व
परमाणु सिद्धांत
अग्नि-5 भारत की 'न्यूनतम विश्वसनीय निवारक' (Minimum Credible Deterrence) नीति का मुख्य स्तंभ है:
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'नो फर्स्ट यूज' की प्रतिबद्धता का समर्थन
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केवल आत्मरक्षा के लिए उपयोग
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प्रधानमंत्री के आदेश के बिना प्रक्षेपण नहीं
'शांति शस्त्र'
भारत इसे 'वेपन ऑफ पीस' (शांति शस्त्र) कहता है, जो इसकी रक्षात्मक प्रकृति को दर्शाता है।
परीक्षण का इतिहास
प्रमुख मील के पत्थर
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पहला परीक्षण: 19 अप्रैल 2012, चांदीपुर टेस्ट रेंज से
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MIRV परीक्षण: 11 मार्च 2024
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नवीनतम परीक्षण: 20 अगस्त 2025
परीक्षण की सफलता
सभी परीक्षणों में मिसाइल ने सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को पूरा किया है। परीक्षण स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के तत्वावधान में किए गए हैं।
अग्नि श्रृंखला में स्थान
अग्नि मिसाइल परिवार
| मिसाइल | रेंज | स्थिति |
|---|---|---|
| अग्नि-1 | 700 किमी | तैनात |
| अग्नि-2 | 2,000 किमी | तैनात |
| अग्नि-3 | 3,000-3,500 किमी | तैनात |
| अग्नि-4 | 3,500 किमी | तैनात |
| अग्नि-5 | 5,000+ किमी | परीक्षण चरण |
अग्नि-5 के विकास में लगभग ₹2,500 करोड़ की लागत आई है
भविष्य की योजनाएं
तैनाती की तैयारी
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स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड में पूर्ण तैनाती की तैयारी
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वर्तमान में केवल सिंगल-वॉरहेड मिसाइलें तैनात
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MIRV के साथ परिचालन में कुछ और साल लगेंगे
अतिरिक्त क्षमताएं
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उपग्रह विरोधी (ASAT) क्षमता की संभावना
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छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की तकनीक
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दुश्मन के उपग्रहों को नष्ट करने की क्षमता
वैश्विक संदर्भ
अग्नि-5 के सफल विकास से भारत इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) क्लब में शामिल हो गया है। इससे भारत की सामरिक रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है और यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में एक निर्णायक कारक बन गई है।
अग्नि-5 न केवल भारत की तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि यह देश की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और शांतिपूर्ण परमाणु सिद्धांत का भी मजबूत आधार प्रदान करती है।