विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
परम गंगा (PARAM Ganga)
- IIIT रूड़की में मेड इन इंडिया पेटास्केल सुपर कंप्यूटर ‘परम गंगा' (PARAM Ganga) को इंस्टॉल किया गया जो नेशनल सुपर कंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत तैयार किया गया जिसकी सुपरकंप्यूटिंग कैपिसिटी 1.66 PFLOPS (पेटा फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशंस प्रति सेकंड) है।
- इस सुपर कंप्यूटर का मकसद IIT रूड़की और इसके आसपास के एजुकेशन इंस्टीट्यूट की यूजर कम्युनिटी को कंप्यूटनेशनल पावर देना है। यह डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने मिलकर बनाया है।
- पिछले महीने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) ने सुपर कंप्यूटर 'परम प्रवेग' (Param Pravega) को इंस्टॉल किया था। यह देश का सबसे पावरफुल सुपर कंप्यूटर है, जिसमें 3.3 पेटाफ्लॉप्स की सुपर कंप्यूटिंग कैपेसिटी है।
- यह NSM के तहत ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग’ (सी-डैक) द्वारा स्थापित किया गया है।
- लॉन्च:
- मार्च 2015 में सात वर्षों की अवधि (वर्ष 2015-2022) के लिये 4,500 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से ‘राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन’ की घोषणा की गई थी। इस मिशन के अंतर्गत 70 से अधिक उच्च प्रदर्शन वाले सुपरकंप्यूटरों के माध्यम से एक विशाल सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड स्थापित कर देश भर के राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों और R&D संस्थाओं को सशक्त बनाने की परिकल्पना की गई है।
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) एवं विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित तथा सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इस मिशन (एनएसएम) के चार प्रमुख स्तम्भ हैं जिनके नाम बुनियादी ढांचा, अनुप्रयोग, अनुसंधान एवं विकास, मानव संसाधन विकास हैं। ये स्तम्भ देश के स्वदेशी सुपरकंप्यूटिंग इकोसिस्टम को विकसित करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं।
- इस मिशन की निर्माण पहुंच के तहत डिजाइन, विकास, सुपरकंप्यूटिंग प्रणालियों की तैनाती और कार्य करने की जिम्मेदारी सी-डैक को सौंपी गई है।
- मिशन की 64 से अधिक पेटाफ्लॉप्स (Petaflops)की संचयी परिकलन क्षमता के साथ 24 सुविधाओं का निर्माण और उनकी तैनाती करने की योजना है। अभी तक सी-डैक ने एनएसएम चरण-1 और चरण-2 के तहत 20 से अधिक पेटाफ्लॉप्स की संचयी परिकलन क्षमता के साथ भारतीय विज्ञान संस्थान, आईआईटी, आईआईएसईआर पुणे, जेएनसीएएसआर, एनएबीआई-मोहाली और सी-डैक में 11 प्रणालियां तैनात कर दी गई हैं।
- आज की तारीख तक पूरे देश में एनएसएम प्रणालियों में लगभग 3600 शोधकर्ताओं द्वारा कुल 36,00,000 कम्प्यूटेशनल रोजगार सफलतापूर्वक जुटाए गए हैं।
- देश के विभिन्न संस्थानों में स्थापित किए गए सुपर कंप्यूटर बुनियादी ढांचे ने अनुसंधान एवं विकास समुदाय की प्रमुख उपलब्धियां, उद्देश्य तथा वैज्ञानिक और सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए उत्पादों को प्राप्त करने में सहायता की है।
- मिशन को तीन चरणों में क्रियान्वयित करने की योजना है जो निम्नलिखित है:
- चरण I सुपर कंप्यूटरों को असेंबल करना।
- चरण II देश के भीतर कुछ घटकों के निर्माण पर विचार करना।
- चरण III इस चरण में सुपर कंप्यूटर को भारत में ही डिज़ाइन किया जाना शामिल है।
- निर्मित पहुंच के तहत सी-डैक चरणबद्ध रूप से स्वदेशी सुपरकंप्यूटिंग इकोसिस्टम का निर्माण कर रहा है, जो स्वदेशी रूप से डिजाइन और विनिर्मित सुपर कंप्यूटरों के लिए अग्रणी है। इसने कंप्यूटर सर्वर ‘‘रुद्र’’ और उच्च गति वाले इंटरकनेक्ट ‘‘त्रिनेत्र’’ को डिजाइन और विकसित किया है, जो सुपर कंप्यूटरों के लिए आवश्यक प्रमुख उप-असेंबलियां हैं।
- एनएसएम के तहत बड़े पैमाने पर विकसित किए जा रहे कुछ अनुप्रयोगों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- जीनोमिक्स और ड्रग डिस्कवरी के लिए एनएसएम प्लेटफॉर्म।
- शहरी मॉडलिंग: शहरी पर्यावरण मुद्दों (मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और वायु गुणवत्ता) से निपटने के लिए विज्ञान आधारित निर्णय सहायता ढांचा।
- भारत की नदी घाटियों के लिए बाढ़ पूर्व चेतावनी और भविष्यवाणी प्रणाली।
- तेल और गैस की खोज में सहायता प्रदान करने के लिए साइज्मिक (भूकम्पीय) इमेजिंग के लिए एचपीसी सॉफ्टवेयर सूट।
- एमपीपीएलएबी: टेलीकॉम नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन।
- NSM की प्रगति:
- NSM के प्रथम चरण में ‘परम शिवाय’ (Param Shivay) को IIT-BHU, ‘परम शक्ति’ (Param Shakti) को आईआईटी-खड़गपुर, ‘परम ब्रह्म’ (Param Brahma) को ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च’ (IISER)- पुणे में और ‘परम संगणक’ को जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च में स्थापित किया गया।
- ‘परम सिद्धि’ (Param Siddhi) को विश्व के सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटरों की शीर्ष 500 सूची में 63वाँ स्थान दिया गया। इसे NSM के अंतर्गत विकसित किया गया था।
- सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (Centre for Development of Advanced Computing: C-DAC)
- सी-डैक (C-DAC) सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) के अंतर्गत एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी है।
- यह वर्ष 2003 में नेशनल सेंटर फॉर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी, ER&DCI इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (तिरुवनंतपुरम) तथा भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (Centre for Electronics Design and Technology of India- CEDTI) का सी-डैक (C-DAC) में विलय कर दिया गया था।
- भारत का पहला स्वदेशी सुपर कंप्यूटर, परम-8000 वर्ष 1991 में C-DAC द्वारा ही बनाया गया था।
- भारत में निर्मित घटकों के साथ एक पेटास्केल सुपरकंप्यूटर बनाने के पीछे मूल विचार आत्मनिर्भर भारत की ओर मार्ग का नेतृत्व करना और बहु-विषयक डोमेन में समस्या-समाधान क्षमता को एक साथ तेज़ करना है।
- यह शोधकर्त्ताओं को राष्ट्रीय और वैश्विक महत्त्व की जटिल समस्याओं को हल करने में मदद करेगा।
- यह सैद्धांतिक और प्रायोगिक कार्य के साथ-साथ आधुनिक शोध के लिये एक आवश्यक कंप्यूटर के रूप में कार्य करेगा।
- आईआईटी रुड़की और अन्य नज़दीकी शैक्षणिक संस्थानों के उपयोगकर्त्ता समुदाय को कंप्यूटेशनल शक्ति प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
- वैश्विक परिदृश्य:
- विश्व स्तर पर अधिकतम सुपरकंप्यूटरों के साथ चीन दुनिया में शीर्ष स्थान रखता है। इसके बाद अमेरिका, जापान, फ्रांँस, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों का स्थान है।