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BPSC PYQS (Modern History - आधुनिक इतिहास)

 (Modern History-आधुनिक इतिहास) 

यूरोपीय कंपनियों का आगमन(Arrival of European companies)

1.पर्तगाली उपनिवेश का प्रथम वायसराय भारत मे कौन ह्आ?               45th B.P.S.C. (Pre) 2001-02

Who was the first Viceroy of the Portuguese colony in India?

(a) डियाज (Diaz)

(b) वास्को- डि-गामा (Vasco- da- Gama)

(c) अल्मीडा (Almeida)

(d) अल्बुकर्क(Albuquerque)

Ans. (c)

Explaination:-

पुर्तगाली उपनिवेश का प्रथम वायसराय भारत में फ्रांसिस्को डी अल्मेडा (Francisco de Almeida) था। उनकी नियुक्ति 1505 में हुई थी और उन्होंने 1509 तक इस पद पर कार्य किया। फ्रांसिस्को डी अल्मेडा का कार्यकाल पुर्तगाली भारत में उपनिवेशवाद के प्रारंभिक चरणों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसने भारत में पुर्तगाली प्रभाव को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।

विस्तृत व्याख्या

  • नियुक्ति और कार्यकाल: फ्रांसिस्को डी अल्मेडा को 1505 में पुर्तगाल के राजा द्वारा भारत में पहले वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 1505 से 1509 तक चला, जो लगभग चार वर्षों का समय था।
  • उद्देश्य: उनका मुख्य उद्देश्य भारत में पुर्तगाली उपनिवेश की नींव रखना और समुद्री मार्गों के माध्यम से व्यापारिक प्रभुत्व स्थापित करना था। इसके लिए उन्होंने सैन्य और व्यापारिक रणनीतियों का सहारा लिया।
  • योगदान: अपने कार्यकाल के दौरान, अल्मेडा ने पुर्तगाली साम्राज्य की शक्ति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने भारत के पश्चिमी तट पर पुर्तगाली प्रभाव को बढ़ाया और स्थानीय शासकों के साथ संघर्ष में भी हिस्सा लिया।
  • ऐतिहासिक महत्व: फ्रांसिस्को डी अल्मेडा का कार्यकाल पुर्तगाली उपनिवेशवाद के इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत में यूरोपीय उपनिवेशवाद के शुरुआती चरणों को दर्शाता है। उनके बाद अल्फोंसो डी अल्बुकर्क जैसे अन्य वायसराय आए, जिन्होंने इस नींव को और मजबूत किया।

इस प्रकार, फ्रांसिस्को डी अल्मेडा न केवल पुर्तगाली उपनिवेश के पहले वायसराय थे, बल्कि उन्होंने भारत में पुर्तगाली शक्ति के विस्तार की आधारशिला भी रखी।

2.बंगाल की खाडी में समुद्री डकैती हेतु हुगली का उपयोग कौन करता था? 65th B.P.S.C. (Pre) 2019
   Who used Hoogly for piracy in the Bay of Bengal?
(a)डच (Dutch)
(b) फ्रांसीसी (French)
(d) अंग्रेज (English)
(C) पुर्तगाली (Portuguese)
(e) उपर्युक्त मं से कोई नहीं] उपर्युक्त में सेएक से अधिक (None of the above] More than one of the above)
उत्तर--(c)
Explaination:-

बंगाल की खाड़ी में समुद्री डकैती के लिए हुगली नदी का उपयोग मुख्य रूप से पुर्तगाली समुद्री डाकुओं द्वारा किया जाता था। इसका कारण समझने के लिए हमें ऐतिहासिक संदर्भ में जाना होगा।

हुगली नदी का महत्व

हुगली नदी भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बहती है और गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह कोलकाता शहर के पास से गुजरती है और अंत में बंगाल की खाड़ी में मिलती है। ऐतिहासिक रूप से, हुगली नदी एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग थी। इसके माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप के भीतरी हिस्सों से सामान समुद्र के रास्ते अन्य देशों तक पहुँचाया जाता था। इसकी रणनीतिक स्थिति ने इसे व्यापारियों और डकैतों दोनों के लिए आकर्षक बनाया।

समुद्री डकैती और पुर्तगाली डाकू

समुद्री डकैती एक ऐसा अपराध है जिसमें समुद्री जहाजों पर हमला कर लूटपाट की जाती है। 16वीं और 17वीं शताब्दी में, जब यूरोपीय शक्तियाँ भारत में अपनी पैठ बना रही थीं, पुर्तगाली व्यापारी और सैनिक यहाँ सक्रिय थे। वे न केवल व्यापार में संलग्न थे, बल्कि समुद्री डकैती जैसे अवैध कार्यों में भी लिप्त थे।

हुगली नदी के आसपास के क्षेत्रों में पुर्तगाली समुद्री डाकू विशेष रूप से सक्रिय थे। वे व्यापारिक जहाजों पर हमले करते थे और स्थानीय लोगों को भी परेशान करते थे। उन्होंने नदी के किनारे कई किले बनाए, जिनका उपयोग वे अपनी डकैती की गतिविधियों को संचालित करने के लिए करते थे। बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करने वाले जहाजों के लिए हुगली नदी एक महत्वपूर्ण मार्ग थी, और पुर्तगालियों ने इस अवसर का लाभ उठाया।

क्यों पुर्तगाली प्रमुख थे?

पुर्तगालियों की समुद्री डकैती में प्रमुखता के कई कारण थे:

  • रणनीतिक उपस्थिति: उनकी नौसैनिक शक्ति और किलों ने उन्हें क्षेत्र में मजबूत आधार दिया।
  • व्यापारिक प्रतिस्पर्धा: वे अन्य यूरोपीय शक्तियों और स्थानीय व्यापारियों से प्रतिस्पर्धा में लूटपाट का सहारा लेते थे।
  • ऐतिहासिक समय: उस दौर में समुद्री डकैती एक आम समस्या थी, और पुर्तगाली इसका हिस्सा थे।

हालांकि अन्य समुद्री डाकू समूह भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो सकते थे, लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेजों में पुर्तगाली समुद्री डाकुओं का उल्लेख सबसे प्रमुख है।

निष्कर्ष

इसलिए, बंगाल की खाड़ी में समुद्री डकैती के लिए हुगली नदी का उपयोग मुख्य रूप से पुर्तगाली समुद्री डाकुओं द्वारा किया जाता था। उनकी गतिविधियाँ व्यापारिक मार्गों को प्रभावित करती थीं और स्थानीय स्तर पर भी अशांति पैदा करती थीं। यह ऐतिहासिक तथ्य उस समय की समुद्री गतिविधियों और यूरोपीय प्रभाव को दर्शाता है।

3. भारत में 1613 ई. में अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री कहां स्थापित की थी? 39th B.P.S.C. (Pre) 1994

Where did the British establish their first factory in India in 1613 AD?

(a) गोवा (Goa)

(b) बंगाल में हुगली (Hooghly in Bengal)

(c) आरकोट (Arcot)

(d) सूर्त (Surat)

उत्तर-(d)

Explaination:-

भारत में 1613 ई. में अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री सूरत में स्थापित की थी। सूरत उस समय एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में जाना जाता था, जो विशेष रूप से कपड़ा और मसालों के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। अंग्रेजों ने इस स्थान को इसलिए चुना क्योंकि यह उनकी व्यापारिक गतिविधियों के लिए एक रणनीतिक और लाभकारी स्थान था।

विस्तृत व्याख्या:

  • स्थान का चयन: सूरत उस समय भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक प्रमुख बंदरगाह शहर था। यह शहर व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था, जहां कपड़ा, मसाले और अन्य मूल्यवान वस्तुओं का व्यापार होता था। अंग्रेजों ने इसे अपनी पहली फैक्ट्री के लिए चुना ताकि वे भारतीय बाजार में आसानी से प्रवेश कर सकें।
  • उद्देश्य: इस फैक्ट्री की स्थापना के साथ, अंग्रेजों का लक्ष्य भारत के समृद्ध व्यापारिक संसाधनों का लाभ उठाना और अपनी व्यापारिक उपस्थिति को मजबूत करना था। यह उनके लिए एक शुरुआती कदम था, जिसने आगे चलकर उनके व्यापारिक साम्राज्य के विस्तार की नींव रखी।
  • प्रभाव: सूरत में फैक्ट्री स्थापित करने के बाद, अंग्रेजों ने धीरे-धीरे भारत के अन्य हिस्सों में अपने व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार किया। यह उनकी भारत में औपनिवेशिक शक्ति बढ़ाने की दिशा में पहला कदम था।

इस प्रकार, सूरत में 1613 ई. में स्थापित यह फैक्ट्री न केवल अंग्रेजों के व्यापारिक इतिहास में महत्वपूर्ण थी, बल्कि भारत में उनकी दीर्घकालिक उपस्थिति की शुरुआत भी थी।




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