18वीं सदी में स्थापित नया स्वायत्त राज्य(New autonomous state established in the 18th century)
18वीं सदी में स्थापित नए स्वायत्त राज्यों के संदर्भ में कई ऐतिहासिक उदाहरण मौजूद हैं। स्वायत्त राज्य का अर्थ है ऐसा राज्य जो अपने आंतरिक मामलों में स्वतंत्रता रखता हो, हालाँकि वह किसी बड़े साम्राज्य या संघ के अधीन भी हो सकता है। इस सदी में विश्व भर में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन हुए, जिनके परिणामस्वरूप नए स्वायत्त राज्यों की स्थापना हुई।
प्रमुख उदाहरण:-
भारतीय उपमहाद्वीप में स्वायत्त राज्य:
इसी सदी में मुगल साम्राज्य के पतन के साथ भारतीय उपमहाद्वीप में कई क्षेत्रीय शक्तियाँ उभरीं। इनमें से कुछ प्रमुख स्वायत्त राज्य थे:
- मैसूर राज्य: टीपू सुल्तान और उनके पिता हैदर अली के शासनकाल में यह एक शक्तिशाली स्वायत्त राज्य बना, जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ संघर्ष के लिए जाना जाता है।
- मराठा साम्राज्य: मराठों ने भी अपने क्षेत्र में स्वायत्त शासन स्थापित किया, जो मुगल साम्राज्य के नाममात्र के अधीन था।
- सिख साम्राज्य: 18वीं सदी के अंत में महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व में सिख साम्राज्य की नींव पड़ी, जो बाद में एक शक्तिशाली स्वायत्त राज्य बना।
1. मराठा साम्राज्य
- स्थापना और विकास: मराठा साम्राज्य की नींव 17वीं सदी में छत्रपति शिवाजी ने रखी थी, लेकिन 18वीं सदी में यह एक शक्तिशाली स्वायत्त राज्य के रूप में उभरा। पेशवाओं (मराठा शासकों के प्रधानमंत्री) के नेतृत्व में मराठों ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
- स्वायत्तता: मुगल साम्राज्य के कमजोर पड़ने के बाद मराठा शासकों ने उत्तर और मध्य भारत में अपनी सत्ता स्थापित की। वे स्वतंत्र रूप से शासन करते थे और मुगलों से कर वसूलते थे।
- महत्व: मराठा साम्राज्य ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को भी चुनौती दी और 18वीं सदी के भारतीय政治 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. सिख साम्राज्य
- स्थापना: सिख साम्राज्य की शुरुआत 18वीं सदी के अंत में हुई, जब महाराजा रणजीत सिंह ने 1799 में लाहौर पर कब्जा किया और 1801 में खुद को महाराजा घोषित किया।
- स्वायत्तता: यह पंजाब क्षेत्र में एक स्वायत्त राज्य था, जो मुगल और अफगान शक्तियों से स्वतंत्र था। रणजीत सिंह ने एक मजबूत सेना बनाई और अपने शासन को संगठित किया।
- महत्व: सिख साम्राज्य ने न केवल क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभरकर दिखाया, बल्कि 19वीं सदी तक ब्रिटिश साम्राज्य के लिए भी एक चुनौती बना रहा।
3. मैसूर साम्राज्य
- स्थापना: मैसूर में स्वायत्त राज्य की स्थापना हैदर अली ने 18वीं सदी के मध्य में की। उनके पुत्र टीपू सुल्तान ने इसे और मजबूत किया।
- स्वायत्तता: मैसूर ने मुगल प्रभाव से मुक्त होकर दक्षिण भारत में अपनी स्वतंत्र सत्ता कायम की। हैदर अली और टीपू सुल्तान ने अपनी नीतियों और सैन्य शक्ति से इसे एक शक्तिशाली राज्य बनाया।
- महत्व: मैसूर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ कई युद्ध लड़े, जिनमें चार मैसूर युद्ध शामिल हैं। यह ब्रिटिश विस्तार के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोध का प्रतीक बना।
निष्कर्ष
18वीं सदी में भारत में ये नए स्वायत्त राज्य मुगल साम्राज्य के पतन और क्षेत्रीय शक्तियों के उदय का परिणाम थे। मराठा साम्राज्य, सिख साम्राज्य और मैसूर साम्राज्य जैसे राज्य न केवल स्वतंत्र शासन के उदाहरण थे, बल्कि इन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के राजनीतिक परिदृश्य को भी बदल दिया। इन राज्यों ने अपनी सैन्य शक्ति, प्रशासनिक कुशलता और स्वतंत्र नीतियों के दम पर उस समय की अस्थिरता में भी अपनी पहचान बनाई।