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भारतीय राजनीति(राज्यसभा के सभापति)

 भारतीय राजनीति(राज्यसभा के सभापति)



प्रिलिम्स के लिये:

  • अनुच्छेद 89, उपराष्ट्रपति, उच्च सदन, राज्य सभा के उपसभापति, भारतीय संविधान।

मेन्स के लिये:

  • राज्यसभा के अध्यक्ष से संबंधित संवैधानिक प्रावधान और शक्तियाँ।
चर्चा में क्यों ?

बुधवार, ‘7 दिसंबर 2022′ को संसद के शीतकालीन सत्र में पहली बार उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति के तौर अध्यक्षता की।
राज्यसभा के सभापति

परिचय
  • भारत के उपराष्ट्रपति राज्य सभा के पदेन सभापति हैं।
  •  राज्य सभा के सदस्यों के विपरीत राज्यसभा के सभापति का कार्यकाल 5  वर्षों का ही होता है, राज्य सभा अपने सदस्यों में से एक उपसभापति का भी चयन करती है।
संवैधानिक प्रावधान
  • अनुच्छेद 64 : उपराष्ट्रपति, राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा। 
  • अनुच्छेद 89 : सभापति (भारत के उप-राष्ट्रपति) और राज्यसभा के उपसभापति का प्रावधान है।
शक्तियाँ और कार्य
  • राज्यसभा के सभापति को गणपूर्ति न होने की स्थिति में सदन को स्थगित करने या उसकी बैठक स्थगित करने का अधिकार है।
  • संविधान की 10वीं अनुसूची सभापति को दल-बदल के आधार पर राज्यसभा के सदस्य की अयोग्यता के प्रश्न का निर्धारण करने का अधिकार देती है।
  • सदन में विशेषाधिकार हनन का प्रश्न उठाने के लिये सभापति की सहमति आवश्यक है।
  • संसदीय समितियाँ, चाहे वह सभापति द्वारा गठित हों या सदन द्वारा, सभापति के निर्देशन में काम करती हैं।
  • वह सदस्यों को विभिन्न स्थायी समितियों और विभाग-संबंधित संसदीय समितियों में नामित करता है। वह कार्य मंत्रणा समिति, नियम समिति और सामान्य प्रयोजन समिति के अध्यक्ष हैं।
  • जहाँ तक सदन में या उससे संबंधित मामलों का संबंध है, संविधान और नियमों की व्याख्या करना सभापति का कर्तव्य है और कोई भी ऐसी व्याख्या पर सभापति के साथ शामिल नहीं हो सकता है।
सभापति को पद से हटाना
  • राज्य सभा की किसी बैठक में, जब उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब सभापति, या जब उपसभापति को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उपसभापति, उपस्थित रहने पर भी, पीठासीन नहीं होगा और अनुच्छेद 91 के खंड (2) के उपबंध ऐसी प्रत्येक बैठक के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उस बैठक के संबंध में लागू होते हैं जिससे, यथास्थिति, सभापति या उपसभापति अनुपस्थित है।
  • जब उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प राज्य सभा में विचाराधीन है तब सभापति को राज्य सभा में बोलने और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग लेने का अधिकार होगा, किन्तु वह अनुच्छेद 100 में किसी बात के होते हुए भी ऐसे संकल्प पर या ऐसी कार्यवाहियों के दौरान किसी अन्य विषय पर, मत देने का बिल्कुल हकदार नहीं होगा।
उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान
    उपराष्ट्रपति 
    • भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि का होता है। लेकिन वह इस अवधि के समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक, पद पर बने रह सकते हैं।
    • संविधान इस बात पर मौन है कि भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले जब उनका पद रिक्त हो जाता है या जब उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तब उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन कौन करता है। संविधान में एकमात्र उपबंध राज्य सभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति के ऐसे कृत्य से संबंधित है जिसका निर्वहन; ऐसी रिक्ति की अवधि के दौरान, राज्य सभा के उप सभापति द्वारा या भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्राधिकृत किए गए राज्य सभा के किसी अन्य सदस्य द्वारा किया जाता है।
    • उपराष्ट्रपति द्वारा अपने पद का त्याग भारत के राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र देकर किया जा सकता है। त्याग पत्र उस तारीख से प्रभावी हो जाता है जिससे उसे स्वीकार किया जाता है।
    • उपराष्ट्रपति को राज्य सभा के एक ऐसे संकल्प द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोक सभा सहमत हो। इस प्रयोजनार्थ संकल्प को केवल तभी उपस्थित किया जा सकता है जबकि इस आशय की सूचना कम से कम 14 दिन पहले दी गई हो
    योग्यता
    • भारत का नागरिक हो।
    • 35 वर्ष की आयु पूरी हो।
    • राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिये योग्य हो।
    • केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण या किसी अन्य सार्वजनिक प्राधिकरण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं करना चाहिये।
    निर्वाचक मंडल
    • भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
    • निर्वाचक मंडल में निम्नलिखित शामिल हैं:
      • राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य।
      • राज्यसभा के मनोनीत सदस्य।
      • लोकसभा के निर्वाचित सदस्य।
    चुनाव प्रक्रिया ?

    • अनुच्छेद 68 के अनुसार, कार्यालय की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिये चुनाव, निवर्तमान उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाना आवश्यक है।
    • राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 तथा राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के साथ संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत उपराष्ट्रपति के कार्यालय के चुनाव के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण भारत निर्वाचन आयोग में निहित है।  
    • चुनाव के लिये अधिसूचना निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 60  दिन पूर्व या उसके बाद जारी की जाएगी।
      •  निर्वाचक मंडल के सभी सदस्य, संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं, इसलिये प्रत्येक संसद सदस्य के मत का मूल्य समान अर्थात् 1 ।
      • चुनाव आयोग, केंद्र सरकार के परामर्श से लोकसभा और राज्यसभा के महासचिव को बारी-बारी से निर्वाचन अधिकारी (रिटर्निंग ऑफिसर) के रूप में नियुक्त करता है।
    • तद्नुसार महासचिव, लोकसभा को भारत के उपराष्ट्रपति के कार्यालय के वर्तमान चुनाव के लिये निर्वाचन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
      • आयोग ने निर्वाचन अधिकारी की सहायता के लिये संसद भवन (लोकसभा) में सहायक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करने का भी निर्णय लिया है।
      • राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के नियम 8 के अनुसार, चुनाव के लिये मतदान संसद भवन में होगा।
    संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा— 
    •  भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद में कार्य हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जाएगा। 
      • परन्तु, यथास्थिति, राज्य सभा का सभापति या लोकसभा का अध्यक्ष अथवा उस रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को, जो हिन्दी में या अंग्रेजी में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है, अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा।
    •  जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संविधान के प्रारंभ के पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो ''या अंग्रेजी में'' शब्दों का उसमें से लोप कर दिया गया हो।
    प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए  :
    राज्यसभा का सभापति तथा उपसभापति उस सदन के सदस्य नहीं होते हैं जबकि राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्यों को मतदान का कोई अधिकार नहीं होता, उनको उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान का अधिकार होता है
    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
    (a) केवल 1
    (b) केवल 2
    (c) 1 और 2 दोनों
    (d) न तो 1 और न ही 2

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