विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (science and technology)
क्लस्टर (Cluster Bomb) & वैक्यूम बम (Vacuum Bomb)
चर्चा में क्यों ?
यूक्रेन ने रूसी सेना पर वैक्यूम बम इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
- यूक्रेन ने रूस पर प्रतिबंधित क्लस्टर (Cluster Bomb) और वैक्यूम बम (Vacuum Bomb) इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। खुद यूक्रेनियन राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy News) ने दावा किा है कि व्लादिमीर पुतिन इन हथियारों (Russian Army Weapons) का प्रयोग कर युद्ध अपराध कर रहे हैं। जेलेंस्की ने बताया कि रूसी सेना ने खारकीव के सिटी सेंटर इलाके में मिसाइलें (Russian Missile Attacks in Ukraine) दागी हैं। बताया जा रहा है कि इन हमलों में कई आम नागरिकों की मौत हुई है। कुछ दिन पहले भी रूसी सेना के ये प्रतिबंधित हथियार यूक्रेन की ओर जाते हुए दिखाई दिए थे ।
प्रमुख बिंदु:
क्लस्टर (Cluster Bomb):
- क्लस्टर ज़खीरे को क्लस्टर बम के नाम से भी जाना जाता है।
- हथियारों के नियंत्रण के लिए अमेरिका बेस्ड परामर्श समूह शस्त्र नियंत्रक एसोसिएशन के मुताबिक क्लस्टर ज़खीरे में ग्रैविटी बम, तोपों की शेल्स और रॉकेट के ज़रिए हमला किया जाता है, जिसमें कई छोटे बम दूर दूर तक जाकर गिरकर फटते हैं। यह बम बेहद खतरनाक और विनाशक माने जाते हैं।
- इसका इस्तेमाल सबसे पहले 1943 में सोवियत और जर्मन फौजों ने किया था।
- अब तक 200 तरह के क्लस्टर बम बनाए जा चुके हैं ,एक क्लस्टर बम असल में सैकड़ों छोटे-छोटे बमों का संग्रह होता है, इन्हें जब हवा में लड़ाकू विमानों से फेंका जाता है तो ये बीच रास्ते में फट कर सैकड़ों बमों में बदल जाते हैं और बहुत बड़े इलाके तबाह करते हैं। अपने अंदर मौजूद बमों को गिराने से पहले क्लस्टर बम मीलों तक उड़ सकता है।जब वो जमीन से 1000 मीटर से 100 मीटर के बीच किसी ऊँचाई पर होता है तो क्लस्टर बम का आवरण घूमता है और उसमें मौजूद बम एक बड़े इलाके में गिरने शुरू हो जाते हैं।
- इनमें हर बम में धातु की सैड़कों धातु टुकड़े होते हैं। जब वो फटते हैं तो 25 मीटर दूर तक लोगों को नुकसान पहुँचा सकता है।
- क्लस्टर बम यानी, गुच्छ युद्धसामग्री (Cluster munition) ने सबसे ज्यादा तबाही वियतनाम और लाओस में मचाई है। उसके बाद इराक और कंबोडिया का नंबर है।
- अब तक 24 देशों के लोग इनसे प्रभावित हुए हैं।
- 30 मई 2008 को 100 से ज्यादा देशों के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत क्लस्टर बमों का निर्माण, संग्रहण और इस्तेमाल तक बैन कर दिया गया।
- क्लस्टर बमों को बैन करने के समझौते पर अब तक 119 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। लेकिन अमेरिका, चीन, रूस, ब्राजील, वेनेजुएला, अर्जेन्टीना, इस्राएल, ग्रीस, मिस्र और ईरान जैसे देश इस समझौते से बाहर हैं।
वैक्यूम बम (Vacuum Bomb):
- यह उच्च शक्ति वाले विस्फोटक हथियार है, जो वातावरण का इस्तेमाल कर अपनी मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।
- ऐसा कहा जाता है कि 1960 के दशक में, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ईंधन-वायु विस्फोटक विकसित किए गए थे और वियतनाम में उपयोग किए गए थे।
- यह बम इतना खतरनाक है कि इसके इस्तेमाल जिनेवा कन्वेंशन के तहत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा हुआ है। अमेरिका और रूस ने 1960 के दशक में वैक्यूम बम को बनाया था।
- यह बम को रूस ने वर्ष 2007 में विकसित किया था जिसका वजन 7100 किलो इसके अंदर केमिकल और एक्सप्लोसिव फ्यूल भरा रहता है. जो विस्फोट होने पर सुपरसोनिक तरंगें पैदा करता है। यह बम शहरों को मलबे में बदलने की ताकत रखता है। इसमें इंसान को भाप बनाने की भी क्षमता ह।
- इसको ATBIP यानी एविएशन थर्मोबेरिक बॉम्ब ऑफ इंक्रीज्ड पावर कहा जाता है।
- यह करीब 23 फीट लंबा होने के साथ घातक भी है जो 44 टन TNT के बराबर धमाका कर सकता है।
- यह लगभग 7100 KG वजन वाला बॉम्ब है जो अपने आसपास के 300 मीटर के इलाके को पूरी तरह खाक कर सकता है।
- यह अब तक विकसित सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु हथियारों में से एक है। यही कारण है कि इस हथियार को जिनेवा सम्मेलनों के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
- यह बम उच्च शक्ति वाले विस्फोटक हथियार हैजो हवा में केमिकल नुमा ईंधन फैलाकर तापमान और प्रेशर पर काम करता है औरवातावरण का इस्तेमाल कर अपनी मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।
- यह अपने आस- पास की हवा खींचकर ऐसा दबाव पैदा करता है कि फटने के बाद आसपास मौजूद लोगों के आंतरिक अंगों को फाड़ देता है। इसमें शहरों को मलबे में बदलने की भी क्षमता होती है। यही कारण है कि इसके इस्तेमाल के बाद भारी तबाही मचती है।
- इसमें परमाणु बम की तरह रेडिशन का खतरा नहीं होता है ।
- इससे होने वाली तबाही परमाणु बम जैसी होती है।
- इसे ‘फादर ऑफ ऑल बम भी कहा जाता है।
रूस का वैक्यूम बम...
- इसको ATBIP यानी Aviation Thermobaric Bomb of Increased Power कहा जाता है।
- 23 फीट लंबा होने के साथ घातक भी है जो 44 टन TNT के बराबर धमाका
- 2007 में रूस ने इस बम को विकसित किया था।
- 7,100 किलो है रूस द्वारा बनाए गए बम का वजन
- 2016 में सीरिया के खिलाफ रूस ने किया था इस्तेमाल।
- 300 मीटर के दायरे में भारी तबाही मचाता है।
- मदर ऑफ ऑल बॉम्ब या MOAB यानी मैसिव ऑर्डिनेंस एयर ब्लास्ट बॉम्ब कहा जाता है।
- इस बॉम्ब को आधिकारिक तौर पर GBU-43 कहा जाता है।
- 2003 में अमेरिका ने वैक्यूम बम का परीक्षण किया था।
- 9,800 किलोग्राम है अमेरिका द्वारा बनाए गए बम का वजन।
- 2017 में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर ISIS के ठिकानों गिराया था
- यह बम 150 से 200 मीटर के दायरे में तबाही मचाता है ।
- थर्मोबैरिक हथियार या वैक्यूम बम में एक ईंधन कंटेनर और दो अलग-अलग विस्फोटक चार्ज होते हैं। जब वे गिरे या लॉन्च हुए और लक्ष्य से टकराए, तो पहला चार्ज ईंधन के कणों को तितर-बितर करने के लिए विस्फोट करता है। दूसरा चार्ज हवा में बिखरे हुए ईंधन और ऑक्सीजन को प्रज्वलित करता है। एक ब्लास्ट वेव अत्यधिक दबाव और गर्मी से उत्पन्न होता है जिसमें एक संलग्न स्थान में गूंजने और आंशिक वैक्यूम बनाने की क्षमता होती है। इस तरह के हथियार प्रबलित इमारतों, उपकरणों को नष्ट कर सकते हैं और लोगों को मार सकते हैं या घायल कर सकते हैं।
- इसलिए, हम कह सकते हैं कि सटीक-निर्देशित बम लक्ष्य पर हमला करता है, फिर एक छोटा विस्फोट होता है और विस्फोटक सामग्री का एक बादल छोड़ता है। इसके अलावा, एक दूसरा विस्फोट बादलों को प्रज्वलित करता है और एक बड़े विस्फोट का कारण बनता है जो मानव शरीर को वाष्पित करने में सक्षम है।
रूस का टीओएस-1 बुराटिनो
- टीओएस-1 बुराटिनो सोवियत संघ के जमाने का मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर है।
- यह हथियार 1988 से रूसी सेना में तैनात है।
- इस हथियार का इस्तेमाल रूस, अजरबैजान, आर्मीनिया, अल्जीरिया, सीरिया और इराक की सेना करती है। इस रॉकेट लॉन्चर ने सोवियत अफगान युद्ध, नागोर्नो काराबाख युद्ध, दूसरा चेचेन युद्ध, इराक युद्ध (2013-2017), सीरियाई गृहयुद्ध, डोनबास युद्ध, 2020 के नागोर्नो काराबाख युद्ध में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है।
- इस हथियार को सोवियत संघ के जमाने की हथियार निर्माता कंपनी ओम्स्क ट्रांसमाश डिजाइन ब्यूरो ने 1988 में बनाया था।
- इस हथियार का वजन 43 टन, लंबाई 9.5 मीटर, चौड़ाई 3.6 मीटर, और ऊंचाई 2.22 मीटर है।
- इसे ऑपरेट करने के लिए तीन चालक दल की जरूरत पड़ती है।
- इसमें 220 एमएम कैलिबर का रॉकेट इस्तेमाल किया जाता है।
- यह रॉकेट लॉन्चर 15 सेकेंड में 30 राउंड रॉकेट दाग सकता है। इसका प्रभावी फायरिंग रेंज 500 से 3500 मीटर माना जाता है।
Thanks for the good info👍
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