हरित हाइड्रोजन / हाइड्रोजन अमोनिया नीति (Green Hydrogen, Hydrogen Ammonia Policy)
चर्चा में क्यों ?
ऊर्जा मंत्रालय ने ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के लिए हरित हाइड्रोजन या हरित अमोनिया के उत्पादन हेतु ‘हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया नीति’ को अधिसूचित किया है।
- देश में हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन को बढ़ावा देने के मकसद से विभिन्न रियायतों की घोषणा की। इस पहल का मकसद कार्बन-मुक्त ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना तथा देश को इसके निर्यात का केंद्र बनाना है।
हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया नीति के प्रमुख प्रावधान:
- इस नीति के तहत सरकार उत्पादन हेतु विशिष्ट विनिर्माण क्षेत्र स्थापित करने की पेशकश कर रही है, प्राथमिकता के आधार पर ISTS (इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम) से कनेक्टिविटी और जून 2025 से पहले उत्पादन सुविधा चालू होने पर 25 वर्ष के लिये मुफ्त ट्रांसमिशन की पेशकश की गई है।
- इसका उद्देश्य असम में एक हरित हाइड्रोजन संयंत्र को नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति करने हेतु राजस्थान में एक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सक्षम होंगे।
- इसके अलावा उत्पादकों को शिपिंग द्वारा निर्यात के लिये हरित अमोनिया के भंडारण हेतु बंदरगाहों के पास बंकर स्थापित करने की अनुमति होगी।
- अक्तूबर, 2021 में यह घोषणा की गई थी कि भारत प्रारंभ में वर्ष 2030 तक लगभग 1 मिलियन टन वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है।
- इसके अलावा यह उत्पादकों को डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) द्वारा उत्पन्न किसी भी अधिशेष नवीकरणीय ऊर्जा को 30 दिनों तक के लिये भंडारित करने और आवश्यकतानुसार इसका उपयोग करने की सुविधा प्रदान करती है।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा व्यापार सुगमता के लिये समयबद्ध वैधानिक मंज़ूरी सहित सभी गतिविधियों हेतु एक एकल पोर्टल स्थापित किया जाएगा।